पुरुषो तम्हे रामजी
दश्रत नंदन रामजी
आखे मेरी प्यासी रख राया दर्शन की
कब से रही सुध भी मुझको नहीं तन की
तारो हमे रामजी
पुरुषो तम्हे रामजी
दश्रत नंदन रामजी
तुफा उठा है दिल में हमारे
हर चल से मनवा में होने लगी
विरहा ये अब तो साहन नहीं जाए
आखों से बरखा ये होने लगी
देदो हमे रामजी
अपने दर्शन प्रिपालू
तुम हो बड़े भोले मन के दयालू
आँ आँ आँ
पुरुषो तम्हे रामजी
दश्रत नंदन रामजी
आँ आँ आँ
अखे मेरी प्यासी रघुराया दर्शन की
कब से रही सुद भी मुझको नहीं तंकी
तारो हमे रामजी
पुरुषो तम्हे रामजी
तुम हो बड़े भोले मन के दयालू
आँ आँ आँ
दिल को ना चैना
दिन भी खटे ना खटे अब तो रेना
पुरुषो तम्हे रामजी
दश्रत नंदन रामजी
आँ आँ आँ
दिन भी मेरी प्यासी रघुराया करशन की
तब से रही सुद भी मुझको नहीं तंकी
तारो हमे रामजी
पुरुषो तम्हे रामजी