बोलो विश्व कर्मा भगवान की। बाल कृष्णाल की। ओम् नमः पार्वधिभदे आरा आरमारे एवारः।
बगवान विश्व कर्मा नित्यान।
राजः हर्यादि हर्यं।
देवोस सुत्रदार जगद किलहितो हो।
द्यायते सर्वसत्मै।
बगवान विश्व कर्मा एक आत्मा।
गज रेखो से।
बिजा आत्मा सुत्र चे।
तिजा आत्मा कमंडड।
चोथा आत्मा पुस्तक ज्ञान।
हंसु पर विराजमैं।
त्रण नेत्र वाड़ा।
मात्र मुगृत दारन किरो से।
बदी रित्य पुष्ट काया वाड़ा।
त्रेलोक नु सर्जन करनार।
देवोना आवाश बनावनार।
प्रत्युपर राजाओना महलने रच्णा करनार।
आका जगतना सुत्रदार।
आकी जगत सश्टीनु कल्यान करनार।
प्रभु विश्वकर्मानु सरप्राणनो नित्य द्यान दरेशे।
विश्वकर्मा पुराणनो प्रारंब।
विश्वकर्मा पुराणनो प्रारंब।
अनावकते एकाई सुत्जी महाराज आयेवास।
सुत्जी महाराज जे वियाश्ची न शिष्य छे।
इतियाश, पुराण, ज्ञान नी कथाओं जे जानेश।
वियाश्ची ओताना पाथ शिष्य अतायमा ती चारने विचार वेद बनावेला।
वेद बदानी जानवा न मड़े, वेदना विभाग पुराण द्वारा करें सुत्जी न बनावेला।
सुत्जी न जोता जुरुष्यों नी जानवा नी मजा हलू।
जानवा नी मटे बदा जुरुष्यों सुखता।
एकदम बन्दन किरा, आशन आपी प्यसाइडा चे, पुझन किरुषे।
सुत्जी महाराज दे, प्रस्थ किरो महाराज।
हमें हडारे पुराणों साहिबडा चे, परन्तु जे परमात्मा विश्वनु कर्म करवावाला चे,
जेनी बदामा कथा आवे, पुराणों मा आवे, सकंदपुराण, ब्रह्मपुराण, शिवपुराण, चार वेद माँज विश्वकर्मा बगवानु पुरणन आवे,
पण यहनु अलग पुराण नहीं, तमें यहनी कैक कथा जानता हो तो हमें कहो।
सुधी माराज राजी थे, रसियों दन्य है, तमें मने बगवान विश्वकर्मा नी कथा पूछो सो, मने आनंत ताई है, मारी वानी पवित्रत करवा माटे, मुं पण आज अहुबागी बानुचु।
बगवान विश्वकर्मा नी पूछो सो, मने पूछो सो, मारी वानी पवित्रत करवा माटे, मुं पण आज अहुबागी बानुचु।
विश्वकर्मा नी पूछो सो, मने पूछो सो, मारी वानी पवित्रत करवा माटे, मुं पण आज अहुबागी बानुचु।
विश्वकर्मा नी पूछो सो, मने पूछो सो, मारी वानी पवित्रत करवा माटे, मुं पण आज अहुबागी बानुचु।
विश्वकर्मा नी पूछो सो, मने पूछो सो, मारी वानी पवित्रत करवा माटे, मुं पण आज अहुबागी बानुचु।
विश्वकर्मा नी पूछो सो, मारी वानी पवित्रत करवा माटे, मुं पण आज अहुबागी बानुचु।
अने मंत्र जाप करता करता आपुराहाँ विश्वकर्मा भगवान अने इला देवी अना मन्ना मनुरत कुण करेचे, अने स्तुत्यों ना अनेक प्रकारना मंत्रों विश्वकर्मा भगवान ना, एकशो आठ नाम चे येनो जाप कर।