कि सीधा सा फार्मूला है कि प्रेम में शुक्र प्रेम शुक्र को जन्म देता है कि आप महिल में रहते हों याशाधारण घर में रहते हैं प्रदर्श्य है तो आपका मन खुश है वे अ क्षम बेदना भर देघुरा दिल होना चाहिएकि आपकी परिवार के शदस्य का दुख तुम्हारा दुख बन जाए है आपकी परिवार की मेंम्रों का सुख तुम्हारा सुख डबलदूसरोंपीड़ा तुम्हारी पीड़ा बन जाए दुश्रों की बेदना तुम्हारी शंबेदना बन जाएऔर कभी घर में कोई बहुत बड़ी आपत्य आ जाए प्रेम एकता और शंगठन से काम कीजिएएक बहेडियाकबूतर को पकड़ने के लिए दाना भेगता हैऔर कबूतरों के ऊपर फिर जाल भेगता है कबूतर सब फश जाते हैंशब्द अलग-अलग पंख हड़ठड़ाते हैंतुझे कबूतरों की झुंड में जो मुखिया कबूतर थाजिसका नाम था चित्र ग्रिवचित्र ग्रिव ने कहा कि सावधान, सांतर हो सकजब आपत्य में होना चाहिए तो सांत हो जाना चाहिएइदर उदर पंख मत हिलाओमैं जो कहूँगा वो करूँगाएक साथ सब को उड़ान भरना है और पूरे जाल को लेकर भी आकाश में उड़ जाना हैएक साथ अलग-अलग पंखे लाने से आपत्ती से बच नहीं पाओगा सब मारे जाओगाक्योंकि बहलिया जाल फेंक चुका है आ रहा हैचित्र ग्रीव जो मुखिया था कबूतरों का उसने आदेश किया एक, दो, साड़े, तीन जब साड़े तीन बोला हो तो सब एक साथ उपर को उड़े और जाल लेकर उड़ गएफिर आकास में जब पहुंचे तब उसने कहा अब जब दुबारा बोलूंगा तो सब नीचे बैठ जाना और चारों तरफ भाग जाना तो हवा में जाल उपर रह जाएगाफिर बोला आकास में एक, दो, साड़े, तीन तो सब नीचे गिर गए और साइडों में भाग गए और जाल हवा में उड़ गया जाल अलग गिरा बहलिया दंग रह गया कि कबूतरों के भी शंगठन और नेतरत में दम होती है इतनी बड़ी आपत्य से बाहर निकल जाएगाआपकी घर में, आपकी परिवार में कभी ये ऐसी बड़ी आपत्य आ साती हैऔर ऐसी विपत्ति में जब फस जाना तो परश्वर प्रेम और शंगठन और घर में जो मुखिया है उसकी बात मान कर सब काम करना तो आपत्ति से बच जाओगे, सुरच्छित हो जाओगेऔर कभी भी अलग अलग इधर उधर खीचा खेची मत करो, और गुश्चा मत करो, ये क्रोध तुम्हें शाधरन बना देगा, गुश्चा तुम्हारे भाग्यों को विगाड सकती हैआखिर एक दिन गुश्चा तो नहीं रहेगी, लेकिन जो गुश्चा के कारण भाग्य विगड गया, वो तुम्हारे साथ रहेगागुस्सा तो ठंडी हो जाएगी एक दिनसब की ठंडी हुई हैलेकिन जो गुस्सा के कारण काम बिगड़ गयाभाग्य बिगड़ गया, भविष्य बिगड़ गयावो फिर बिगड़ा ही रहामैं अपने आश्रम में लखींपुर खीरी मेंपार्क में परिक्रमा कर रहा थातो एक डॉक्टरसड़क पर साइकिल फेक कर और तोड़ करखूद कर आ गया, पाँच हुआ बोलाबहुत दिन सेढूंढ रहा था कम भी लोग यहाँतो हमने कहा आप क्या करते हैंबोली मैं डॉक्टर हूँअच्छा डॉक्टर है अबबोले इसके पहले मास्टर थाउमने कह अच्छा मास्टर थाबोली इसके पहले लेकपाल थातो हमने कह लेकपाल थातो अब डॉक्टर कहा हूँप्राइवेट डॉक्टर हैहमने कहा कैसेलेकपाल से तो और आगे बढ़तो उसमें नोकरिस निकल गया फिर छुट्टी हो गया गुस्सा तो ठंडी हो गयी पर नोकरी चली गयी फिर मास्टर हो गया तो मास्टर हो गया तो एक दिन प्रनस्वल से कहा सुनी हो दी तो उसको भी मारा मूर्शी में तो मास्टरी भी चली गयी तो प्राइवेट डाक्टकि आखिरी सब कुछ खोने के बाद व्यक्ति अपनी गुश्चा को प्रोध को कंट्रोल करता हैकि इसलिए पहले से यदि अपनी गुश्चा को काबू कर लो अहिंकार को पालतु कुट्टा मत बनाओ अहिंकार कोशुराज की तरह चमक होने के लिए कर दो