प्रयागराज के तीरों पर बजे शंख अटम रूधुन
जहां संगम मिलता है गंगा यमुना कर कन कन
आस्था का महा उत्सव ये संस्विती का श्रिंगा
महा कुंग के रंगों में है दुनिया का संता
सादु संत की टोली आई भक्ती की जोती संगलाई
हर हर गंगे कूँजे नफ में खासता की लो जगमगाई
दीप जले जब घाट किनारे बन में उठे प्रेम के नारे
प्रयाग राज के तीरों पर बजे शंख आटम रूधुन
जहां संगम मिलता है गंगा यमुना कर कन कन
प्रयाग राज के तीरों पर बजे शंख आटम रूधुन
आसता का महा उतसव ये संस्विति का श्रिंगा
महा कुंभ के रंगों में है दुनिया का कंता