Ĕñen thee ma yi ke Kiev
Dswari
रुप्पी को शहर भरी
उडिरन थे दिन भरी
देखती ना आचा बली
के उडिरने बानी छाँ
मालाई जस्ते तिमलाई बनी
जरी बहसी आका सेर दे
बिना स्वर्को शब्दा बिना को प्रास्ना करे
प्रास्ना करे
साला बितेव समई बितेव फरकेराय नंगोई
वाप थे बसाना हुदा घर्म सबलाई हराये का जान चन कहा बन।
बन थे सब निपाउने जस्फेरी
बिना स्वर्को शब्दा बिना को प्रास्ना करे
प्रास्ना करे
देखे मैले एक भुन फेरी हाराये को धेरै साल पची
उर्दे थी ये एक आमता मा
बिना जोडी एक लोग चरी
सोधे मैले तिमिलाई एको किन चो माया भनी
बोलेनो जारा केही आखा रसी तिन्डो पनी
अंगाले र मलाई संज़ाओदेई आफईलै फुति एर रोना थाली