प्रभुजे...
प्रभुजे...
कित खोजन मैं जाओं...
प्रभुजे...
अनगिन रूप तुम्हारे दर्शन...
अनगिन रूप तुम्हारे तरपन...
बेगाना मैं किसको समझूं...
बेगाना मैं किसको समझूं...
किसको मैं अपना हूँ...
कित खोजन मैं जाओं...
प्रभुजे...
प्रभुजे...
कित खोजन मैं जाओं...
प्रभुजे...
प्रभुजे...
जाल भरम के बुन बुन निशिदन...
जाल भरम के बुन बुन निशिदन...
सारा जनम गबाया...
फल भोगा
अपने कर्मों का...
फल भोगा अपने कर्मों का...
फिर क्यूं मैं पछताया...
मैं बंदी अपनी कडियां का...
किस पर
दोश लगाओं...
कित
खोजन मैं जाओं...
प्रभुजे...
कित खोजन मैं जाओं...
प्रभुजे...
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