अन्धेरी रात है साया तो हो नहीं सकता
ये कौन है जो
मेरे साथ साथ चलता है
सर के तालो का तिप एक लम्हाचाहिये
आमुर
मुझे सोचना पड़ा
अपके साल पूनम में जब तु आएगी मिलने
हम सोच रखा है रात यूँ गुजारेंगे
शोख तेरे कदमों पे हम निगाहों से तेरे आरती
उतारेंगे अपके साल पूनम में जब तु आएगी मिलने
हम सोचना पड़ा अपके साल पूनम में जब तु आएगी मिलने
हम तुझे गुजारेंगे अपके साल पूनम में जब तु आएगी मिलने
हम तो वक्त है पल है तेस गाम घडिया है बेटरार लम्हे है
पसकान सदिया है कोई साथ में अपने आए या नहीं आए
जो मिलेगा रस्ते में हम उसे फुकारेंगे
अपके साल पूनम में जब तु आएगी मिलने
हमने सोच रखा है रात यूँ गुजारेंगे भड़बने बिचारेंगे
शुख तेरे कर्मों पे हम निगाँ से तेरी आरती उतारेंगे अपके साल पूनम में
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