मन से सड़ी न उतारीजी
इया क्या कलाईं भर्भारणीजी
छोड़ी ये राजा होई रोओ रे नुरनिया
जी राजा छोड़ी ना आपको
नाया न होरे अभी बानी हम कनिया
छोड़ी ये राजा होई रोओ रे नुरनिया
आज भर सबर रोओ राखो ली ये राजा
दुख बुझी न होई हम मना हरी दी
हरी कोह मर से सारी ना उठड़ीजी भीयला गोतला
ज़िम्रभारी जी
नक के नुधी ऐसे नक बनो चाये
तानक बाली देखी के नुधा भूलाये
हे राजा हमार कापत सोरीर बा
अखिया के कजरा पता गईल बाले हमरा पतिया पटकोरी
भिचारी जी
एहे कुहं बृस सरी ना उतारी जी भीयाला कोटला तेहं ब्रभारी जी
ये राजा ये राजा
लागो ताला तेहं ब्रभारी जी