सब के हुए राणि जागलबा
काहे मिजाज तोहर कोई गलबा
सब के हुए राणि जागलबा काहे
मिजाज तोहर कोई गलबा
अरे मौरद भी न देहो गौरद कोरे हाले से किली लगावाना
धीरे से बहिया में आओवाना ए पिया दिया बूतावाना
अरे कजबेला हर बाजवानी में आगिया लगावे भुपानी में
रोजे के डोज तोहे चाही हो
सुना आरे मुना वोही तिरा जराजी तू कोला मौका के बैडा उठाओवाना
धीरे से बहिया में आओवाना ए पिया दिया बूतावाना