गुलाम गौस है जो भी नसीब वाला है
करम से इनके अंधेरे में भी उजाला है
कहना है गुलाम गौस है जो भी नसीब वाला
है करम से इनके अंधेरे में भी उजाला है
मिली है इनकी गुलामी मुझे मुकदर से मेरे हजूर का दुनिया में बोल वाला है
मोज़े सामेइन हजरात की खिदमत में शिरीकैसिट
इसलैमिक और संज्यगर्वाल जी पेश कर रहे हैं
वाकया पीराने पीर
सामेइन इसमें हम पीराने पीर तस्तगीर हुदूर गौस आजम
की दो बड़ी ही बेमिसाल करामत आपकलक तोचा रहे हैं
जिसे लिखा है फैस बदायूनी साहब ने इसका म्यूजिक दिया है राजू
खान साहब ने और इसे गाया है इलबर मेराज साबरी दूगो बदायूनी ने
रिगार्डिंग खुलां साबरी साहब ने की है सईयोज़क मुसरत
अली जी लीजिये सामेईं मुलहिज़ा करें वाकया पीराने पीर
नजीरे इनायत कर दो पीरों के पीर
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
मिगड़ी बना तो मेरे दस्तगीद
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
आप अल्लह के वली आला मकाम
आपके दर का जमाना है खुलाम
आपकी जिसको इनायत मिल गई
उसके घर खुशियों की शम्मा जल गई
आपका उंचा बड़ा है मर्तबाद
आपका प्यारे नभी तक सिल्सिलाद
आप जहरा के हैं गुलशन के गुलाब
आपका दुनिया में ना कोई जबाब
आपकी शाने सखावत आम है आपका वलियों में उंचा नाम है
पत्फुरीली डगर आपके दर जाता दुखियारा कोई
आपके दर जाता दुखियारा कोई करता है परियाद दर पे वो यही
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
विगड़ी पना दो मेरी मेरे दस्तगीर
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
है शहर बगदाद का ये वाक्या
एक दिन गजला किनारे ये हुआ
साथ में हजरत के एक खुदाम था
आपके लब पे खुदा का नाम था
वासे आजम ने सुनी उसकी सदा
आपने खुदाम उसे अपने कहा
ये देखो जल्द क्या है माझरा आ रही रोने की है किसकी सदा
पास जाकर पूछा जो खुदाम ने
बैठकर बुढिया के एकड़म सामुने
गुड़िया ने रोकर सुनाई डास्ता
हो गय थे अब बहुत आशूरवा
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
बिगड़ी बना दो मेरी मेरे दस्त की
गजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
बोली बुढिया एक था मेरा पिसर
जिन्दगी मेरी था वो नूरे नजर
जब मरा शोहर तो मैं वेवा हुई
जिन्दगी में ना रही कोई
खुशी
कुछ नहीं था अब गुजारे के लिए
एक बेटा था सहारे के लिए
जब हुआ बेटा जवा तो थी मगन
थी मुझे उमीद महकेगा चमन
बेट का रिष्टा जो आया तै किया
चल्दी ही शादी का दिन भी रख दिया
हो गई बारात कश्टी में सवार
बाखुशी सब ने किया दर्या थपार
लेके दुलहन आ रहे थे सारे साथ
लेके दुलहन आ रहे थे सारे साथ
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
दूब के बारात गुज़रे बारा साल
तब से लेकर आज तक हूं पुर्मलाल
मुद्दतों से देरही आकर सदा
मेरी सुनता ही नहीं रब है दूआ
परेवान खिला जब वाक्या
वजद में आकर के हजरत ने कहा
भैर जा दर्यान तू ज्यादा मचल
कश्ति बारा साल की डूबी निकल
प्राल की डूबी निकल
आपने दोराया था ये तीन बार
कश्टी बाहर आ गई सब थे सवार
दूला दुलहन कश्टी से उतरे वहां
हो गया था एक मसरत का समा
दूला दुलहन को लगा करके गले बुढियान अलफाज उस दम ये कहे
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
बिगड़ी बना दो मेरी मेरे दस्तगी
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
एक ये भी है करामत गौस की
होती दुखियों पर इनायत गौस की
गौस आजम की करामत बेशुमार
आप देते हैं दुखी दिल को करार
गौस आजम की करामत ये सुनो दिल बड़ा पुश होगा सुनके मोमिनो
एक जैपा ही परेशाल थी उसके लड़के की बहुत अबुबांज थी
लड़के की शादी हुए मुद्धत हुई उसके घर में ना हुई कोई खुशी
खुड़िया ने रो करके ये परियाद की
गौस आजम दो खुशी आउलाद की
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
बिगड़ी बना दो मेरी मेरे दस्दगीर
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर
बुढियाने रो रो के जो मांगी दूआ आपने बोला करे पूरी खुदा
मांगी बुढियाने दूआ थी ग्यारा बार आ गई उजड़े चमन में यूँ बहार
वोस आजम ने वहाँ करके दूआ कर दिये ग्यारा पिसर उसको अता
घूल बुढिया के चमन में अब खिले साल पीछे थे पिसर पैदा हुए
हो गया उसके
खुदा का था करम
मिट गए बुढिया के सारे रनजो घम
गोस आजम से जो मांगी थी मुराद
हो गयी आउलाद दिल था उसका शाद
सूना आगन अब
खुशी से भर गया
जूम कर बुढिया ने खुश हो कर कहा
नजरे इनायत कर दो पीरों के पीर बिगड़ी बना दो मेरी मेरे दस्तगीर
जुवाद गया जूम कर दो पीरों के पीर