पूलों में सज रहे
स्री बृंदा बन विहारी फूलों में सज रहे
पूलों में सज रहे हैं स्री बृंदा बन विहारी
पूलों में सज रहे हैं स्री बृंदा बन विहारी
स्री बृंदा बन विहारी
पूलों में सज रहे हैं स्री बृंदा बन विहारी
योर संग में सज रहे हैं बृश भान की दुलारी
फूलो में सज रहे हैं स्री बृंदा बन बिहारी
तेड़ हा समकुट सर पर रखा है किस आदासे
तेड़ हा समकुट सर पर रखा है किस आदासे
तेड़ा समपुट सर पर रखा है किस अदासे
रखा है किस अदासे
करुणा बरस रही है करुणा भरी निगाहे
करुणा बरस रही है करुणा भरी निगाहे
फूलों में सच रहे हैं स्री बृंदा बन विहारी
फूलों में सच रहे हैं
बहीयां गले में डाले जब शाम मुस्कुराते
जब शाम मुस्कुराते
बहीयां गले में डाले जब शाम मुस्कुराते
बहीयां गले में डाले जब शाम मुस्कुराते
बहीयां गले में डाले जब शाम मुस्कुराते
जब शाम मुस्कुराते
सबको ही प्यारे लगते, सबके ही मन को भाते
सबको ही प्यारे लगते, सबके ही मन को भाते
फूलों में सज रहे हैं
स्री बृंदा बन विहारी, फूलों में सज रहे हैं
सिंगार तेरा प्यारे, सोभा कहूं क्या उसकी
सोभा कहूं क्या उसकी
इत पे गुलाबी पटका उत पे गुलाबी सारी
फूलों में सज रहे हैं स्री ब्रिंदा बन विहारी
फूलों में सज रहे हैं