छेल से महके
पाव़ हमारे दिल
दिल
ये डूब रहा है
लबों से जो तरे लाँ कहे खामोश विया
पल दिल
तू मुझे से ख़फा है
चमलता खिला जो करी है अब मुरचा गया
यादों में खुछाओं सदा
खुशियों का वो समाँ
हाँ ख़ाँ
सामन कोई और कोई और
हुए फासले
सामन कोई और कोई और
पिछड़ यूँ कर
बोल दिल पर तू है कहां
ले गई फूलों से बाहर
दुखे सरद आसमां
सुन ये क्या कह रहा है ओ
नहें मौसमों की ये भवां का एलान है
यादों में
खुछाओं सदा
खुशियों का ये समाँ
ख़ड़ कोण वो सामन
पिछड़ने से रहा हाँ
या वो सीव गये
बोल दिल पर तू है कहां
ले गई फूलों से बाहर
यादों में
खुछाओं सदा
खुशियों का ये समाँ
करण कोन वो सामन पिछड़ने से रहा हाँ
सामने कोई हो कोई हो हुए पासले
सामने कोई हो कोई हो
पिछड़ यंगे
बोल दिल पर तू है कहां
ले गई
फूलों से बाहर