मैं तुझे फिर मिलूँगा
कब कहा मुझे पता नहीं
तुझे फिर मिलूँगा
तुझे फिर मिलूँगा कब कहा मुझे पता नहीं तुझे फिर मिलूँगा
शायद मा की मीठी लोरी बन कर या शायद भूचि पतंकी डोरी बנ कर
बन कर तुप में पेड की खाईं या तेरे ही दिल का एक गाऊ
शायद खुशी से जहलकता जाम
या शररत से रखा हुआ नाम
बनकर अंधेरे रस्ते का तारा
या मुझकिल वक का सहारा
मैं तुझे फिर मिलूंगा
कब कहा मुझे पता नहीं
तुझे फिर मिलूंगा
मैं तुझ से चुदा नहीं
तुझे फिर मिलूंगा
शायद
धावाद नहीं
सुनी आवास
उझसे जिता नहीं
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