तैयू पतला सा दुपटा उड़के ना चाल जा कर की मैं सर्माल नहीं समझी
क्यू मैं किनारी उड़ रीसू आजकर सबी सेना हुदे हैं
अहा दे की इतनी सरीव बने
अरे इतना शिंगार करके ना चाल जा कर ना गल्या में जाय कर
जमाना बोध खराब है लोग तकरार करने हैं
मेरी बात सुनले पियाजी जमाना जाओ बाड में
दुनिया बोध आगे लीकर रिसे तने के बेरा
वो कहा करा ना घुंगट की आड़ से दिल बग़ा तिदार अधूरा रहता है
जब तक ना पड़े आशिक की नज़र श्रिंगार अधूरा रहता है
बले बले अच्छा आशिक भी बना रख्या है तोई
हाँ बना रख्या है
कुण उस्सा पैदा हो गया मारा दुस्मन नाम तो बता उसका
की बताओ पियाजी वो तू ये तो है
जान दे सुदर जे तू
न न नन, और
कैक मैंत लो गई