तो मेरे प्री सजनों,
जे मलार उस समय की है
आहा,
इधर में रुक मिनी भगवान श्याम सुन्दर के लिए पाती लिख रहे हूं
तो पाती लिखते ही में और आँखों से आशु धलक रहे हूं
और कैसे?
आरे पाती लिख तुमी
हाँ पाती लिख तुमी
रुक मिनी रोई
रही जी
पाती लिखत तुमी रूक मिनी रोई
रही जी
एधी कोई नेननी हमें कोई नेननी बरसत नी
रे पाती लिख तुमी रूक मिनी रोई रही जी
पाती लिखत तुमी रूक मिनी रोई रही जी
रूक मिनी पाती लिखते में बिने करती हैं
कहने लगी शाम
हमको भूल न जाना
अनथा बहुत अनथ हो जाएगा
और क्या कहने लगी हैं
आदी आबत देरी हर मती की दियो जी