समय बदलता गया,
लोग भी बदलते गयें।
पहले की जमाने में माता, पहन,
बेटियां अपने पती को परमेश्वर की भाती पूजती थी।
परन्तो आज इस कल युग में हो क्या रहा है।
इसी तक पकपोंटी ःट्याएन परती जा रही है।
प्रेम नफ़रत में बदल रहा है।
पती पतनी से ड़ता है।
और पत्मी पती से ड़ती रही है।
पती लोग के गती होता साधी के बाद
यार के खुशी खाती रो पतनी करे सब बरबाद भाईया करे सब बरबाद
पती लोग के गती होता साधी के बाद
अब ना हिराहल से नुरावा के लाइए
अखिया के पाने मरल भैली दागा बाज हो
अब ना हिराहल से नुरावा के लाइए
अखिया के पाने
मरल भैली दागा बाज हो
दरत दे के मरत के हुँ होगई
लिशा
आजाद भाईया भैली साजाद
पती लोग के गती होता साधी के बाद
हो खता तबाही ससुरा नाई हर के
इहे बाद
कहानी आलम देखा हर घर के
होता तबाही अब ससुरा नाई हर के
इहे बाद कहानी सुभम देखा हर घर के
सवन चीजां नमौल
राहे भाईले अब परसादे भाईया भाईले अब परसाद
پتی لوگ کے گتی ہوتا سادھی کے بعد