शिरी विश्णू जी की किरपा का मारग बताते हैं।
भगतों मारग बताते हैं।
हम पापंको शाय का दशी की काता गाते हैं।
पिर शिरी हरी की किरपा से हम मोकश को पाते हैं।
हम कतह सुनाते हैं।
सब सुनो लगा कर ध्यान, ओ जाएगा कल्यान।
ये गथा है बड़ी महान, सब सुनो लगा कर ध्यान।
श्री विश्णू की करे बंधना और लगाए ध्यान,
ब्रामण भोग लगाते हैं फिर देते हैं उने दान।
पाप कुशा का व्रत करने से कट जाते हैं पाप,
रोग दोश से मुक्ती मिलती मिटता है संताव।
अतिपावन ये एकादशी हैं, उत्तम है परिणाम।
शिरी हरी की माला फेरो चपो हरी का नाम।
बड़ी पुरानी कथा सुनाओ, सुनो कथा का सार।
कथा को सुनने से खुलते हैं मुक्ष मार्ग के द्वार।
काल आंतर के युग में तुमको हम ले जाते हैं,
भगतों हम ले जाते हैं।
हम पापा को शाये कादशी की महिमां गाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
सब सुनो लगा कर ध्यान,
हो जाएगा कल्यान। ये कथा है बड़ी महान,
सब सुनो लगा कर ध्यान।
भारत वर्ष के बिंध्या चल की सची है ये बात।
पड़ा आकाल गई बरसों तक हुई नहीं बरसात।
एक बहली रहता वहाँ पर ले कर के परिवार।
क्रोधन नाम था महा क्रूर था करता रोज शिकात।
मासाहारी अत्याचारी करता मदिरा पान। प्रति
दिन कितने जीवों की वो ले लेता था जाम।
वैशगमन भी क्रोधन करता करता पाप अनेक।
काम पुन का अब तक उसने किया नहीं था एक।
उसके पाप के घड़े अनेको बरते जाते हैं। भगतों बरते जाते हैं।
हम पापं कुशा एक आदशी की महिमा गाते हैं। हम कथा सुनाते हैं।
सब सुनो लगा कर ध्यान। हो जाएगा कल्यान।
ये कथा है बड़ी महान।
सब सुनो लगा कर ध्यान।
चोरी करना जूत बोलना करता मदिरा पान।
पापों के परिणाम से क्रोधन बना रहा अनजान।
अंत समय उसके जीवन का जैसे आता है।
यम दूतों का क्रोधन को फिर सपना आता है।
अंत समय आ गया है तेरा करले तयीयारी।
सुनले क्रोधन बहुत जल्द ही तेरी है बारी।
वच नहीं सकता है तू हमसे सत्व बताते हैं। तुझ को सत्व बताते हैं।
हम पाप़ं को शाय काधशी की महिमाँ गाते हैं। हम कथा सुनाते हैं।
सब सुनो लगा कर ध्यान हो जाएगा कल्यान
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा कर ध्यान
नींद खुली प्रोधन की मन में वो घबराता है
भाग के वो अंगीरा रिशी के पास में आता है
मृत्यू का डर सता रहा था पाफी नूधन को
अंगीरा रिशी के पास में पहुचा वो संचोधन को
रिशी के चर्नों में घिर करके पूछे कोई उपाय
कैसे यम के दंज से मुझे को छुटकारा मिल जाए
अपनी रख्षा है तु वो प्रोधन बिनती करता है
बार बार रिशी राज के चर्नों में वो घिरता है
रिशी राज उस प्रोधन को फिर मार्ग दिखाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
चिन्ता क्याग के मन में क्रोधन कर ले एक उपाई
तुझकों सारे पापों से फिर छुटकारा मिल जाए
अश्विन शुक्य पक्ष की क्रोधन एकदशी है आज
मोक्ष दाइनी पापा कुशा का पावन दिन है आज
रख उपवास तु सचे मन से कर विश्णों का ध्यान
पापों से मुख्टी मिल जाए हो जाए कल्याम
विधी पूर वकवरत तुम करना संग सारा परिवार
शिरी हरी की किरपा से हो जाए नयीया पार
हम पापा कुशा एक आदशी की महिमा गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ग्रोधन लोटके घर को आया रखता है उपवास
शिरी हरी की करे वन्दना भर मन में उल्लास
श्री विश्णू की पूजा करता संग सारा परिवार मिल जाता है
फिर ग्रोधन को शिरी हरी का प्यार अंत समय ग्रोधन का आया
स्वर्ग को जाता है व्रत करने से पाप दोश सारा कट जाता है
शिरी हरी की अनुकम्प जिसको भी मिल जाये
यमदूतों से वो बच करके मोक्षदाम पाए
कथा लिकी सुक्धेवन काला गाके सुनाते हैं भगतों गाके सुनाते हैं
सब सुनो लगा कर ध्यान हो जाएगा कल्यान ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा कर ध्यान हो जाएगा कल्यान
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा कर ध्यान