गतने का शायता है
कोंका है गाने की
धरातल कमिट जाय अस्थित चाहे
रस्तातल में मिल जाय सूरत यो चंडा
एह
मिटेगी नहीं अस्थिता जब तलकी
रहेगा जमाने में आदर सगिन्दा
बढ़ने लगी कालिमा जब सशीकी
चला मांगने सिंदु सरिता से पानी
बजी सुर से सहनाई उजड़े चमन में
सगी लाल जोडे में जबरात राणी
गाना में जोन बा
तरजवी बा और गाणमा के लेंग यह बाका
कितनी सुन्दर कभी लेन लिखले होने का
हा सामाजीक भाव हे
और साहितिक भाव लेन होने का
कूदरत सोया करवट बदला
गुलिशन को रितु राज्य मिला
कूदरत सोया करवट बदला
गुलिशन को रितु राज्य मिला
अभी ऐसे कहाणी शुरू होगे था
कि मद होस जवानी में जो होस गमाता ह Economy loses consciousness in youth
mental efference goes away in youth
अडे इंसान वो ईजजत नहीं अपमान कमाता है prze- робिया
आओस की आग आजमी को जला ढदिये
दाग दामन में चान्द की भी लगा देती है
जिला हर दोई धार गाव की कहानी है
कुशी ओ गम के बीच मधूर रवाणी है
हर दोई जिला में धार गाव में एक घटना घटल
वही गाव में एक बाबु महिपाल सिंग रहते थे
जो तपे तपाए जमीदार
और उनकर एक लड़का बेटा एक लौता था
एक लड़का था जिसका नाम था गुमान
उन नवजवानी में था
पैसे वाले थे बाबु महिपाल सिंग
धनी आदमी थे मेरे दोस्तों
और एक बात अउर हल कि
वही गाउं के एक लड़की जो उनने के नाम रहल सरीता
बाबु जी गरीब परिवार कर रहल
सरीता एक दिन अपने बाबु के विमार रहल नोकर बाबु
दवा लेव बजार में गईल बा
दवा खरीदे बदे सरीता जब बजार में गईल बा
तब तक उकर सुन्दरता देख कर उकर जवानी पर आशिक हो करके
महिपाल सिंग के बेटवा गुमान कलाई पकड़ लिया
और जब कलाई पकड़ लेले बा
ओ समय का भाव कभी धलन तनकन बढ़ा दा मास्टर
सर कहले वतिया जडा लागे
गुमान सिंग बाबू महिपाल सिंग के बेटवा जब पकड लेले बा
सरीता का कलाई तब सरीता लड़्की के कलाई पकड़ कर करके
कहता बा उकर गाऊंमा का लड़की धल लेकिन कहनी रहेल बा का कैसे
की एरेद असरा के अच्छरवा भरदा गोरी
असरा के अच्छरवा भरदा गोरी
अरे सरिता में सगरवा भरदा गोरी
असरा के अच्छरवा भरदा गोरी
और गुमान सिंग का कहरल बस सरिता से
कि सोनवा से तुहं के सजा देवराणी
अरे वो ठवा के मदिराण पिला के सयानी
पियासल ही रवा भरदा गोरी
असरा के अच्छरवा भरदा गोरी
आज सरिता जवन कहबुत होके देव
सोने से तुहार सरील लाद देव
गहना सरील लाद देव
लेकिन आज यद जवन चमानी का मदिरा
हमके पिला करके मसका दा
बाबू गुमान सिंग का बात जब वो लड़की
सरिता सुन लेबा देखें बाबू कहे का
कि अरे कबो कबो रतिया पहाल जस लगे
लेकिन वो लड़की कहत बाका कि बाबू
कहां आप और कहां मैं
कि अरे बद नसीब बाबू अरे गरीब हम बानी
अरे करजोड कटवा से कहे लाद राणी
अरे गुझरेला कैसो गरीबिये में दिनावा
जग में पाया बरु गरीबन के धनावा
अरे अप जसी अमीर के जमीरी सोन चानी
बद नसीब बाबू गरीब हम बानी
बाबू हम गरीबं के जोंवां जोणं धन दौलत हू आबरू
ही दौलत हा इत्ज़त ही दौलत है बाबूँ और अपन के
पायसा पर खरदले के चककर में हुआ कहरल बाउ लड़की
रो रो करके बाबू हमरे और आपमें बहुत का
है बाबू हम गरीबं के जोंवां जोणं धन धन दौलत है बाबू हम गरीबं के चककर में हुआ कहरल बाबू हमरे और आपमें बहुत का
है बाबू हम गरीबं के जोंवां जोणं धन धन दौलत है बाबू हम गरीबं
लाजा गई लादिया नाते दिन कर रे
मोका निकाले लाइलाल गुमान सिंग कोनो मोका मिले तो सरिता के कर मजा चिखाईं ये बात कहले
पत्तर जू है बाँ कि अब याइला बसल्त कम भैली सारा दीरे मोरी देहिया
पत्तर जू है बाद कहले बात कहले बात कहले बात कहले बात कहले बात कहले
तो एक दिन साम के समया गुमानी सरिता को जबरी उठा के अभिमानी
अरे चला बाँ का पयलिया बनावे गुगुरूरे कैसे बची हैं गरीब कै
भाई साहब एक दिन थोड़ा थोड़ा अंधेरा भैलबा बाबु गुमान सिंग् लड़की सरिता के
पर अकेल में पोलन सुनसान जगपर जबर जस्ती उठा करके ले गए मुक में कपड़ा ठूस कर करना क्या चाहते हैं
जड़ा देखें कबीली खलन का अरे मानवता का सर नीचा हो गया अरे दामन दुरुपद दुलारी का दूसा सन जब खीचाया
जब जब बेचारी सरिता को ले जाने लगा है वो गुमान सिंग ओ समयो लड़का लड़की आवाज देर हल बा लेकिन भाव कभी लिखले बातन का कि प्रतिरोद कब तक जटायू करेगा अरे प्रतिरोद कब तक जटायू करेगा
अरे फंसी जब दसानन के चंगुल में सीता दिगते धरा से धरम की धुरी देक रोती कनहया की पावन है गीता अरे हवसका पुजारी अनारी बना जब बजाया छली छल की बंसी बढ़ेगी अरे दुसा सन के जङ्ह पर बैठी बिलकती बस द्रोपदी आज हो करके न
और ले जा करके बाबुजी आज कैले कबा यहाँ
ओके नंगी करके जब इजत लूटना चाहता है ओसमें कोई भाव देले बातन का
की अब असीस केली सारी ता अरे सब नवा बिखारी गईले
अरे चरी गई नवा सना के आगी में आच्यारावा
अच्छाला पड़ी गईले मोरीनी आके छटीया में अरे काला भैले बेदाना से चांद कैचे हरावा
अब बेदाना जहर भैले बेदाना जहर भैले कोरी किसमतीया में
मिले नम उतमं ले पीके जहरावा
गरी मा गाँवा के घर आके बीटी ही निया हो बाबू से भी लखा बोली सरिता लगी गरवा
जबरजस्ती गुमान सिंग उस अबला की जत लूट लिया लेकिन उस लड़की रोते हुए अपने घर पहुंचती है
जब घर जाती है अपने बाबू के गले से वो गरीब आद्मी के गले से लिपट करके रो रो करके सरिता बता वेले गल का कहला तरज बाँ
तने कार बढ़ा दा
कि अरे सरंगिया वाले कडेरावा अरे बताईदा हो छोटकी नानाती
लेकिन उन लड़की रो रो के अपने बाबू से कहल बाका
कि अरे सिस केले सरिता सावन की नईया नया नवा भैले बाबू जी
कि अरे माहुर गरीबी गरीब के घर में अरे जनवा भैले बाबू जी
अरे ठाकुर मही पाल के खासु बेटा अरे लुटिली हले मर इजटिया हो तस सपना सुघर ससुरे का सजावल सपना वा भैले बाबू जी
रो रो करके लड़की अपने बाबू से पूरी कथा ब्यतापन बता गई बाबू ओकर कही लन का गरीब आदमी तनी सुनला अरे सुन के बात बेटी से कहा तु खाई खाई के पाटी अकाई से परवत से राई तकराई खाई के पाटी
भाई साब बाबू जी जब यी बात सुनले बातन गुशा में आग बभूला हो गिलन लेकिन उग गरीब आदमी उग गरीब आदमी जोन बा कहाँ परवत और कहाँ खाई दुनों का तुलना बराबर ना बा कैसे विरोध करी कैसे उनकर सामना करी तब बाबू जी के आत्म �
खाई खाई के पाटी कैसे परवत से राई तकराई खाई के पाटी
तो चले संग सरिता को लेके फाट गम में छतिया हो
दयाननद यादो प्रधान से बोले रो के बतिया हो
अपने बितिया शरिता केऋलेग��릴게요कर बाबू जी गयी लन का brought his daughter Sarita to his parents village head, Dayananad Yadin
पड़ार कैसे दियानद यादो से गाओं के प्रधान से उन्से रो रोग्कर गी बाबू जी कह लग लन का
तुहरे जीयत रूपां गई लूटायी खाई के पाटी
तुहरे जीयत रूपां गई लूटायी खाई के पाटी
अब भिगर गईले दुनिया में मोर बुढायी खाई के पाटी
तुहरे जीयत रूपां गईले दुनिया में मोर बुढायी खाई के पाटी
तुहरे जीयत रूपां गईले दुनिया में मोर बुढायी खाई के पाटी
अरे दादा चिंता मत करा तुहार बुढ़ोती आ गईलता हम गाउं का प्रधान हैं
गुमान सिंख गुमानी निकाल दे बबाई सबेरा होई दा रात है न अच्छब सबेरा होई तब बताई भी उनके कैसे
क्या रभी हाँ दे ललकार करके देन न दे आदोद प्रधान कहे लगों गरीब आदमेशा का
क्या रभी हाँ दे काटा से काटा निकल आई खाई के पाटी
भले हाथ से प्रधानी चल जाई खाई के पाटी
सत्य न पराजित कभी होला दुनिया में
करेले जो चाहे के तना हुबर साथ
सुनला सत्य परशान हो सकता है मुल्चन जी
लेकिन पराजित नहीं हो सकता है
मेरे दोष्तों!
सत्य के बात कभी नहीं खाला का..
आयार रह सुने के बात
क्या भाईल त्रींट सुनला
रिष्टा फर्ज के बनल बाँ
आप फर्ज के फर्जटा के बनल
याद उत ध्यानंद परथान जी
कैसे ?
आयार फर्ज का फरिष्टा जब या दर्श का बहरुआ
आयार जुर्म के नहोवे दिहा जग में बिहा
धनवा के धारा में धर्म वाली नही
तुम्ही कैसे सोच दया नंद परथा
ए भईया कैलन का आयार दिरी है जरु रही न सावसरी ताके
आयार जुर्टी पंचायट सुभा कैलन या लाद
आयर पाइ के खबर जुटे गह माके लोगावा
आयार माहि पाल साथे बेटवा तुझा
आयार एक सर्ट मोर सुनधई के थी ना ना
पंचायट का फैसला हमें मान है लेकिन एक सर्ट मेरे भी है परदान जी
और गाँ के लोगों से, पंचायट वालों के लोगों से
मेरा भी एक बात है कि मेरा लड़का सिंदूर दान करेगा सरिता के मांग में
लेकिन एक है हमार सर्ट का बाया कि बहुएर हमार सरीटा
बेटी तुहरी होई है ए to go to
to party like this Yeah but
इं पने बेटो मान के हम दुलहा बना के
कुमान सिंग के बरात ले के आए तब ओगर मान हो
आय़ा क्या मजे की बात हो गई जहाँ गंर भी भूरत
कबीड लिखलन का की आरा साथ मार्च चारान बेरसमवार रहा लदीना
वाई लगन धारा इल सुंदर कै के बुना
सरीटा के हत्वा में रचली में हदिया
खंगन कलाई बीच बदल बुना
रामा रामा हो रामा
हो रामा रामा हो रामा
अरे वाई सरीटा के हत्वा में हदिया रचली कंगना बदल
साथ मार्च चारान बेरसमवार जहाँ दिन गुमान सिंग दुलावन के बरात
लेके पहुंचल बावसमक भाव कभी देले बातन क्या?
मनमंदिर में फूटेले भागुन का फुलज़डी
आशुगल सरीटा कालहरी आसावन में उमरी
बधा सुघर सिहरा शिर पर नौसा बन चले गुमान
बने बाप जब द्वार चार पर द्यानन्द परधान
आसान से गावली गुजरी आसावन में उमरी
भाई साब भाईलका के द्यानन्द परधान
उहे दिन बाप बन के लड़की के द्वार पूजा में
आपन रिष्टा निभवले होन मेरे दोस्तों भाईलका
कि कोहबर में माबहन गाउं के दुलही दुलहाच चुमे
मारोय अंदर मन मयूर सरीटा के मन के जुमे
अगू मैं साजन साभावरी आसा मन में उमारी
दोने समय मरवा मैं उलड़की अपने गुमान सिंग के साथे साथ भावर घुमल बा
गाउं के उरद जूट करके गीत गवना ही गावत हैं
द्यानन्द यादो परधान जोन बातन
ये लड़की कन्यादान अपने कैलें ता कवी के लिखे के पलका
द्यानन्द यादो बेटी के कैलें कन्यादान
सजा सितारा मांग में जब की भाईन सिंदूरदान
आचान के पागेला चक्वरी आसा मन में उमारी
प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र