पलव जे पईलाल ओ मुझा खावन दुखाली न करे
आसा वा इहुलाल वा पारी हर न मझा
अचन जे आस करे लल तो वट गोट घणा
ब्याभी दातर देह में कातो में मरद मण्या
आणे जोशी जुंग घणा
ओ जो कायम वा कल जुग में
कायम वा कल जुग में दाता दायम तजा कमा
उतारी अरवा खुलालन गाओ लईगमा
आणे रखजय लाज शरमा
ओ जो धकय सान गजार तुं
आर्त्वारम लालवट मत विकान सवेही
उण्श पजय ज पहजड आज सुमर सवेही
मंगल दी माराज के अज मन महरतेयी
गुदर तो बाजू करे मुझो आदल आयण ओयी
विश्पत वे सुरन जुं अचि मजु मे चायि
तारो रात थानमे सङगत के दरशन जनायी
छनचर चु गेड लगी मुझी सो बयत मजारी
आरो जे को अचे पे ही ओते जल था गम गोपाल चनी
उतर खा थी आयी ओम जो सू धो संवल शाह
वन तन सब सवा थी आज सव थी अडम गाह
ओम आओ चवे थी पुट खे ओकुट मखण वठी खाव
तुरन्द मु तरा दी मे एजु पैसे लगडो पाव
एडो सू धो संवल शाह
ओजो दिं दो डान संगत खे
एजन्द लाल ओम जा चाली वर घोट
ओम जा लाल सहईं बेडा बने लहैं
सबन जि आसप जहईं दरत जइ तं सवली मठरको नवने तो खली
मजा लाल सहईं सबजा पलव घर
सदय संगत जपलव माय भाय जपलव शवा धरन जपलव
जहनद वारन जपलव टिपस वारन जपलव संगर बानी तरन जपलव
जनद लाल संगला करन जपलव जकय आय न तनजव पलव जकय वयन तनजव पलव जकय न आय न तनजव भी पलव
जनद लाल सबनी जी रहजी चय
छुटा जब, तुन जाब, तुन जब, तेरी वधे आयी
लख, आवन, लख, जावन, लख, कड़े हैं स्वाली
निरधन को धन दे खांवदाय, नि पुत्रां को पुत्र दे खांवदाय
छुटा तुन लाल, लाल, रतो रहें मरंगमें
कुरोडे कहे के त्रान, लाइ कभी नहाल
आने जादे करें मुख्याल
से भी रंगे, पहनजे रंगमें
मुझा जो तिन्वारा, सबनी जो पलाय
सबनी जो पलाय, एजो तिन्वारा
सबनी के पहनजे हलंदी, हलाय
कहिंजो मोता जो न कर, वदी आवरजा
एजो तिन्वारा, असन जे भगुंती जी आवरजा
वदि कनजी, जी गायंदी रहे, असन वजायंदा रहू
एजो तिन्वारा, लाल कहईं, पलाव गहाई
छोतो तुझे गनजमेआ, कमी कान काई
तुझे दर्सका, जो खुले लोहा सदाई
करिशा हो प्यादा, दी प्यादन खेशाई
जरी तेंजे मनमे, थींदी ने थिसाई
तुझे दर्सका, सवाली, वरे खुला खाली
जरी आस, जरी मनमे, लाना तरी तो तप जाई
घर्च कर बोल, मना लटी
साधो बोलो शिव, आज के आनंद की