अर्फ की चादर में लिप्टा हो सुकुम
नदीयों में लहरों सा बहता हो जुनू
दुनिया की विड से हम दूर चल पड़े
शीतल से चादनी की छाओं के तले
गुन्गुनाती को एलिया बोले
और फिजा है मुझे
उसको राती वादियां भी पूछती है क्यों आए वो यहाँ
मेरा तू है घर पहाड़ों में
बस दे मेरे हर ख्याल
मेरा तू है घर पहाड़ों में
ये जर्ने दुन सुनाते
तो हम भी मुस्कुराते
इन तारों के सिरहाने
बस सपने बुनते जाते
मेरा तू है घर पहाड़ों
में
बस दे मेरे हर ख्यालों में
मेरा तू है घर पहाड़ों
में
बस सपने बुनते जाते
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