जगत गुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सर्स्वती महराज की जाएमैं उसकी बगती करया करूँ जिना ज्ञान दिया था सत्कासब वेदों का ज्ञानी वो मैं भगत हूँ ब्रह्मानन्द कापच रंगा वो पाँच रंग का है बड़ा नमामैं ओम तत्सत बोलूं तू भी ओम गुरुजी बोलेखोकली युग के मैं चमतकारी नाम से उनका छोटू राम करे ओम का परे चार विशव मैं कैथल मैं चुड़ माजरा गामउनके करे कामे आज भी आद करे सैनल नारी रूप कवे कोई रब का उने कोई कवे सैन अवतारीउनलो भी मोही अंकारी सब दिये तरा जूतोलेहो मैं ओम तत्सत बोलूं तू भी ओम गुरुजी बोलेमेरा अच्छा दिन जातावै उस दिन चर लियो जाप तेरे नाम कातु गेल गेल मेहसूस होगा गेडा मरूत तेरे दाम कामैं तेरे दिखाय राःप जलूं दुनिया नैं भी चलाता रहूंपड़ू पचासा तेरा गुरु जिघुन गान तेरे मैं गाता रहूंमैं जन जन न समझाता रहूं वो किसमत देगा खोलमैं ओम तचत बोलूं तू भी ओम दुरूजी बोलमैं ओम तचत बोलूं तू भी ओम दुरूजी बोलमेरे मन मंदिर मैं जोत जगा हूँ आरती सुबह सवेर तरीबिल्ला शाम गड़ यू ऐसे पै बनी रहा है सदा मेर तेरीजिसके गेल्या खड़ा गुरूजी तू उसकी नया पार करेंजैसा मुझे पार करेंगड़े हात जोड यू ऐसे ता सुकर गुजार करेंलवीन एजी पर चौर करें तेरा कर यो गुरूजी गोरमैं ओम तचत बोलूं तू भी ओम गुरूजी बोलेंIt's a GR Music