ओम्जै श्रीविश्व कर्माप्रभु जै श्रीविश्व कर्मासकल स्रिष्टि के कर्तारक्षक शुरुति धर्माओम्जै श्रीविश्व कर्माओम्जै श्रीविश्व कर्माप्रभु जै श्रीविश्व कर्मासकल स्रिष्टि के कर्तारक्षक शुरुति धर्माओम्जै श्रीविश्व कर्माआतीसेस्रेष्टि में विधि को शुरुति उपदेश दियाजीव मांत्र का जग में ज्ञान विकास कियाओम जै श्री विश्व कर्मारिशी अंगिरा ने तप से शांति नहीं पाईजब शांति नहीं पाईध्यान किया जब प्रभु काध्यान कियाजब प्रभु कासकल सिद्धि आईओम जै श्री विश्व कर्मारोग ग्रस्त राजाने जब आश्रैली नाप्रभु जब आश्रैली नासंकट राजानेसंकट मूचन बन करसंकट मूचन बन करतूर तूख की नाओम जै श्री विश्व कर्माजब रथकार दंपती तुमरी तेर करेंप्रभु तुमरी तेर करेंप्रभु तुमरी तेर करेंसुन कर दीन प्रार्थनासुन कर दीन प्रार्थनापिपत्ति हरी सगरीओम जै श्री विश्व कर्माएकानन चतुराननपन्ज्य राजाने जब आश्रैली नाकि पंचानन राजे पंचानन राजे द्विभुज चतुर्भुज दसभुज द्विभुज चतुर्भुज दसभुज सकल रूप साजेओम जै श्री विश्व करवा ध्यान धरे जब पद का सकल सीति आवेप्रभु सकल सीति आवे मन दुभिधा मिट जावेमन दुभिधामिट जावेअटद शांति पावेओम जै श्री विश्व करवा ध्यान धरे जब पद का सकल सीति आवेश्री विश्व करमाजी की आरति जो कोई नर गावेप्रभु जो कोई नर गावेकहते हैंगहत गजानन्द स्वामीसुख संपति पावेओम जै श्री विश्व करमाजीओम जै श्री विश्व करमाजीप्रभु जै श्री विश्व करमाजीसकल स्रिष्टि के करता, सकल स्रिष्टि के करता, रक्षक शुति धर्मा, ओम जै श्रीविश्व कर्माओम जै श्री विश्व कर्मा प्रभु जै श्री विश्व कर्मासकल श्री इश्टि के करता नवशक शुति धर्माओम जै श्री विश्व कर्मा