ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक जनों के संकत
दास जनों के
संकत शण में
दूर करे
ओम जय
जगदीश हरे
ओम जय
जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक जनों के संकत
चन में दूर करे ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे दुख विन से मन का
मामे दुख विन से मन का
सुक्ख समपति घर आवे
सुक्ख समपति घर आवे
कश्ट मिटे खन का
ओम जय जगदीश हरे मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी
वामी शरण गहूं मैं किसकी तुम मिरे शरण गहूं किसकी
शरण वे लूरी करे ओम जय जगदीश हरे
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật