ओ बद्शा के पैदले बादल मेरा संदेखा ले जाना
ओ बद्शा के पैदले बादल मेरा संदेखा ले जाना
अस्वन की गुदन बर्सा कर
अस्वन की गुदन बर्सा कर
अलका नगरी में तुम जाकर खबर मेरी पहुचाना
ओ बद्शा के पैदले बादले मेरा संदेखा ले जाना
ओ बद्शा के पैदले बादले मेरी पहुचाना
ओ बद्शा के पैदले बादले मेरी पहुचाना
आग बिरह की जहां दिपाना
बरस बरस कर उसे पुझाना
ओ बद्शा के पैदले बादले मेरा संदेखा ले जाना
ओ बद्शा के पैदले मेरी पहुचाना
अन्धेरा पिया मिलन को चलेगी छुपकर होई गोरी
पत में तुम बिदली चमसा कर खोल न देना खोल न देना खोल न देना उसकी तोरी
बिरह न खोल तुम यहां भी पाना उसे कभी न कदाना
ओ बद्शा के पैदले मेरा संदेखा ले जाना
उस चैनी में महा दाल का मंदिर जब तुम बागो
का नाच देखकर पुजारिनों का नाच देखकर अपना मन बहनाओ
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पर तुम उनके अंगढंग को देखख अटकख न जाओ
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ना चम्बल में ना कुरुक्षेत्र में रुगना, कंखल में ना गंगाजी लहरों को जूमने धुखना, अटल हिमाले पे छड़के फिर यूं बुढ़ना कैलाश की ओर, यूं चम्बा को देखने त्यारे, गजन को छोने जाए सकोर।
अलिका में फिर दूझ उसे तुम मेरा संदेश सुनाना, वो बर्शा के पहले बादल मेरा संदेशा ले जाना।
अलिका मेरा संदेश सुनाना, वो बर्शा के पहले बादल मेरा संदेश सुनाना।