शम और परवाने की कहानी अब खत्म है
आज परवाना शमा से गले मिलकर हमेशा के लिए सो जाएगा
तो फिर शमा भी छिल मिला कर बुचाएगी
और ये बस में महब्बत, मौत के तारीक साइमिक हो जाएगी
महब्बत करने वालों ने तारों की छाओं में तो बहुत सी राते गुजारी हैं
लेकिन हम, हम तलवारों की छाओं में ये रात गुजारेंगे
ये रात हमारी मुलाकात की अखरी रात है
ओ परवाने शमा को अपनी
रुसवा न करना ओ परवाने
रुसवा किया कर तूने
तूने मुझी को क्या मून दिखाऊं कि मैं किसी को
रिसुआ किया कर तूने मुझी को क्या मून दिखाऊं कि मैं किसी को
ओ पर्वाने दुनिया हसेगी ऐसा न करना
ओ पर्वाने शम्मा को अपनी रुसवा न करना
ओ पर्वाने
तलामत रहो बेटी, सैर हो रही है
जमन की सैर के साथ साथ शायरी भी कर रही थी
जी हाँ, सुबह जब आग खुली तो शम्मा पर नजर जा पड़ी
पर्वाना जल चुका था, शम्मा रो रही थी
आखिर रोते रोते वो भी खत्म हो गई
कुछ अजीब तरह का असर दिल पर हुआ
इसी के मतालेग शेर सोचती हुई इधर चली आए
गुस्ताख पर्वाने ने शम्मा के पागदामन से लिपटना चाहा
इस गुस्ताखी की उसे सजा मिली
शम्मा पर्वाने के जलने पे नहीं रोती
इस घरत में रोती है कि पर्वाना उस तक पहचा क्यों
ये बात असर लेने की नहीं सबक लेने की है
इस देड में क्या है बेटी
जी मेरे नहाने के लिए पानी गर्म होने को रखा है
फिर अभी तक पानी गर्म क्यों नहीं हुआ
तुम्हारी ख़वासे कहा है
इन नमः खरामों को तुम्हारे आराम का बिल्कुल ख्याल नहीं
तलमाक नहीं
आग रोशन की जाए
ये इम्तिहा है चुपचाप चल जा
धल जा वफा के साचे मिठल जा
ये इम्तिहा है चुपचाप चल जा
धल जा वफा के साचे मिठल जा
परवाने सबको सिखा जा जल जल के मरना
परवाने
शम्माने
शम्मा को अपनी रुसवान करना
ओ परवाने
उलफत है बाके हर चीज फानी
ले खत्म होती है अब ये
कहानी अब ये कहानी
उलफत है बाके हर चीज फानी
ले खत्म होती है अब ये
कहानी अब ये कहानी
ओ परवाने
आती हूं मैं भी
दमभर ठहरना
ओ परवाने
आती हूं मैं भी
दमभर ठहरना
ओ परवाने
ओ परवाने
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