सिरी सिरी एक हाजार आठ निरंदन गुरू भबूता सिर सिरी जोतरा महाराज की है हो
एक भगत बाबा के जरबार में जाता है और जोतराम सराध नहा करता के मेरे बाबा इस संसार में आपके भगत की हासी करते लोग क्यों करते हैं
कैसे एक बाद के जरबार में बाबा को बताता अपना दूखा कैसे क्या बताया
ओ मेरे बाबा ओ सुन जोतराम सरकार जगत में आँसी हो जागी
ओ मेरे बाबा ओ सुन जोतराम सरकार जगत में आँसी हो जागी
ओ मेरे बाबा
सुन जो तेरा मैं सरकार जगत मनाती हो जागी
तेरी से मैं मासब तैन्यारी
मैं तो दर जर ठोकरखारी
मैं तो दर जर ठोकरखारी
तेरी आमाई मासब तैन्यारी
मैं तो दर जर ठोकरखारी
ओ मेरे बापा वो तेरा सचा से दरबार या कल की फासी हो जागी
ओ मेरे बापा सुन जो तेरा
मैं तो दर जर ठोकरखारी
मैं सरकार जगत मनाती हो जागे
बोल त्रिजोत्रा महाराज की
बोल मनीन के राजा की
आज दुखिया की गोध ने भरते
ओ सूशर प्यात तू धरते
आज दुखिया की गोध ने भरते
ओ मेरे बापा ओ मेरे सुनले अरज बुकार
ना घड़ी भूला
उतासी हो जागी
ओ मेरे बापा सुन जो तेरा मैं सरकार
जगत मनाती हो जागी
इने बापा ने आखई
ये भिन कौन सुने मेरी अरजी
ये भिन कौन सुने मेरी अरजी
ओ बापा दुनियां बाकी मरजी
ऑ बापा दुनियां बाकी मरजी
ये भिन कौन सुने मेरी अरजी
ओ बापा दुनियां बाकी मरजी
ओ मेरे बापा वो करती लावर परचार बदल से राशी हो जागी
ओ मेरे बापा वो जो तेरा मैं तरकार जगत मनाती हो जागी
ओ मेरे बापा वो जगत मनाती हो जागी