जैसे कोई आस्मा का तारा तुदिल की कश्टियों का है किनारा तुहूँ तु हमेशा अक्सवन के साथ चलता हैचांद साए में तेरे रोज ढलता है यहाँमेरे आखों में है तेरा ही नजारादेखती हूँ जो भी एक तु ही आता है नजरतेरे लूर के आगे पेतेरे लूर के आगे पेतेरे लूर के आगे पेतेरे लूर के आगे पेतेरे लूर के आगे पेतेरे लूर के आगे पे