खोदिया सब खोदिया तेरे गंमें बहुत अब रोदिया
अब हार के मैने सिख लिया के जीना है कैसे
आशीख लिया है दिल के जखमों को सीना है कैसे
गिये जो लाख सितम
पिले जो रूप को ज़अम
सहना था जो सह लिया है अब कुछ कहना नहीं तुझ को
अब तेरे होने नहोने से फर्क महीं मुझको
अब यादम तेरी रोना धोना छोड़ दिया मैंने पुद को है समझाया
बिन तेरे कोई नहां है मेरा छोड़ के ना जाना तुझ को था बतलाया
एब तू छोड़ के जा
या मुड़ कर आ जाए
सहना है तिरा ना धोखा मुझको चाहे कुछ भी
हो अब तेरे होने नहोने से फर्क महीं मुझको
अब तेरे होने नहोने से फर्क महीं मुझको
तुझ को खोड़ देने से डर्यक्ली पर प्रशाँच चाहे
तुझ को खोड़ देने से डर्ड पीथी प्यार ज़ग करती थी तुने तो कदर ना की
बिल से मेरे खेला तुझ जैसे कोई खिलोना था इतने
बेदर्दे बेबिल सोचा था के मैं मर जाओंगी आ देख जीती
हूँ खुश हूँ अब खो कर भी तुझ को अब तेरे होने नह
होने से
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