बोली गुरुमाराज की
जए हो
निन्दे राउसे घर जाईए
जिसे घर राम नाम ना होता
निन्दे राउसे घर जाईए
जिसे घर राम नाम ना होता
निन्दे राउसे घर जाईए
जिसे घर राम नाम ना होता
के तैजाई ये राज सिंग आसने के तैजाई ये तो रस के भोगी
बारे निन्दे राख रहगी के
हम साजंगल के योगी
निन्दे राउसे घर जाईए जिसे घर राम नाम ना होता
थीर खांड का भोजन जी मैं
तने पैगरम रजाईए उठे
मारे दोरे निन्दे राख रहगी के तने पैड़ा खरमाईए
जिसे घर राम नाम ना होता थीर खांड का भोजन जी मैं तने पैड़ा खरमाईए
ये घर तीनो
तन नै
सोपे गाईये
बेबे बिना भुलाई
जो आखेल जोठ बोले
निन्दे राख करे पराईए
पे भरतरी सुन बोली निन्दे राख
पे है भरतरी सुन बोली निन्दे राख
तेरा मेरा के सेनाथा
आध छोड़े के फकीरी ली यो हरी मिलन का ही रासा
निन्दे राख उस घर
जाईए जिस घर राम नाम ना होता