मेहरी ना लीद ना ही आवे हुंके
लागे भूरा होरीया के जाड़ा
देहीया भूयल दोही बाड़ा
खिल नहीं बुजे मेहरीया
मिले ना ही जाड़ा में काड़ा
उका उका थीन तरुका चरणी के काटी
मेहर बीना लीद ना ही आवे हुंके लागे
हमर भीतर लेगी जिके पीये के पड़ा तयाब पणीया फिरी जिके
रोहब नहीं उकरागी ना मानो हमर बाती
रोहब नहीं उकरागी ना मानो हमर बाती
बीना माता काटी जाया पाटे ना रोती है
सूती हमें अकेले चूबु गडे खाटी है
सुर्या के सापन बन वातीया माती
पवण के सापन बन वातीया माती
मेहार बीना नीद ना ही आवे हुं तेरा आती