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Netaji Subhas Chandra Bose Ki Katha

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Devesh Kundan

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Lời bài hát: Netaji Subhas Chandra Bose Ki Katha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

जैहिन भारतवासियों
आप सभी को नेताजी सुभास चंद्रबोज की जैनती
अर्थार पराक्रम दिवश की हार्दिक शुग कामनाए
आज मैं आपको आजाधी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाने वाले
नेताजी की सौरी गाथा इस कथा के माध्यम से सुनाने जा रहा हूँ
हम आज सुभास चंद्रबोज की कथा सुनाते हैं
जीवन गाता गाते हैं
जिनको नेताजी कहकर सब लोग भुलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
जो जैहिंद का नारा लगाकर ख्याती पाते हैं
जग में ख्याती पाते हैं
जिनको नेताजी कहकर सब लोग भुलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये देश के अमल जवार, तरे भारत देने प्रणाम, ये देश के अमल जवार
प्रियेश्रताओं, 23 जनवरी 1897 में, उडिसा के कटक में जनमे, शुभास्थ चंद्र बोस जी के पिता का नाम जानिकिनाथ बोस था
और उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था
इन्होंने ही,
उनने ही,

340 में जैहिंद का नारा दिया था, तो आईए आगे की कथा का आनंद लेते हैं
23 जन्वरी को नेताजी का जन्म दिवस आता, मिलकर सभी मनाते उत्सव भारत शीश जुकाता
1913 कलकत्ता प्रेसिडन्सी में आए, लेके दाखिला इंटरमिडियेट सिख्षा है पाए
1916 में प्रोफेसर से हुई तकरार, ब्रिटिस प्रोफेसर ने पढ़ाने से किया इंकार
1917 में प्रोफेसर से हुई तकरार, ब्रिटिस प्रोफेसर ने पढ़ाने से किया इंकार
1918 में प्रोफेसर से हुई तकरार, ब्रिटिस प्रोफेसर ने पढ़ाने से किया इंकार
1919 में प्रोफेसर से हुई तकरार, ब्रिटिस प्रोफेसर ने पढ़ाने से किया इंकार
अंग्रेजी की सिख्षा भी स्ती बोस जिपाए थे, देश भक्ती और राजनीती रग रग में बसाए थे
जिस कारण से अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया, 1922 में आये बाहर फिर तो कमाल किया
फिर तो कमाल किया
प्रेस स्वाराज दल में फिर ये आये हैं, 1923 में भारतिय यूवक अध्यक्ष कहाए हैं
अध्यक्ष कहाए हैं
फिर बंगाल में कॉंग्रेस के ये सचिव कहाते हैं, जीवन गाता गाते हैं
जिनको नेता जी कहकर सब लोग भुलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये देश के अमर जमार, घरे भारती ने प्रणाव
ये देश के अमर जमार
प्रिये शुरुतागनों
नेता जी श्री श्री
सुभास्तंद्र बोस ने देश बंदू की अस्थापित पत्रिका
फॉरवर्ड का संपादन करना शुरू किया
तब 1924 में सुराज दल की जीव पर देश बंदू मेर बने
और सुभास्तंद्र बोस को मुख्य कारेकारी अधिकारी का पद मिला
यह बात अंग्रेजों को रास नहीं आये
और उन्होंने नेता जी को फिर से जेल में डाल दिया
सुथंत्रता अंदोलन में फिर देने को ये धार
फिर तो स्वच्चिक संगठन के बन गए ये आधार
बन गए ये आधार
1930 में फिर से ये तो जेल में आये है
जेल में कलकता के मेयर पद को पाए है
1931-23 मार्च वो अशुब दिन भी आये
भगत सिंग को दे दी फासी फिर बोस है चकराए
जिस कारण से नेता जी गांधी में हुआ मत भेज
इस घटना से सारे देश ने फिर से जताया खेद
नेता जी गांधी से फिर क्रोधित हो जाते हैं
जीवन गाथा गाते हैं
जिनको नेता जी कहकर सब लोग भुलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये देश के अमर जमाल
भारते में ब्रणाओ, करे भारते में ब्रणाओ, ये देश के अमल जवाओ
प्रियाय देशवासियों, भगत सिंग की फांसी को रोकने के लिए
जब गांधी जी ने कोई कदम नहीं उठाया, तो नेता जी का उनसे मतभेद हो गया
और इसके बाद वो क्या करते हैं, आईए इस कथा के माध्यम से जानते हैं
देश के बाहर नेता जी ने पाया समर्थन है, देश की आजादी को जीवन कर दिया अरपण है
जीवन कर दिया अरपण है
1932 से 1936 तक फिर है काम किया, इटली, जर्मन, आयरलेंड में जाकर नाम किया
जाकर नाम किया
कई विदेशी नेताओं से मिलकर बात कही, सभी ने ब्रिटिस को डाटा बोले ये ना है सही
1934 में इलाज को आस्ट्रिया में आए, एमिली शेंकल से प्यार फिर नेता जी पाए
फिर नेता जी पाए
1942 में फिर दोन विवाह रचाते हैं, जीवन गाता गाते है,
जिनको नेता जी कहकर सब लोग बुलाते हैं, हम कथां सुनाते हैं
ये देश गया हम अरजमाद 그림부�ारत है देने क्रणाम ये देश गया हम अरजमाद
प्रियाश रोताओं एमिली शेंकल ने एक बेटी को जन दिया जिसका नाम अनिता बोस रखा गया
सन 1936 में नेता जी जब भारत आये तो अंग्रेजों ने उने ग्रपतार कर लिया और जेल में डाल दिया
सन 1937 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने एक पत्रिका इंडियन स्ट्रेगल उसका प्रकाशन शुरू कर दिया
और फिर 1938 में हरीपूर अधिवेशन में उन्हें कॉंग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया
और इस दौरान क्या होता है आए जानते हैं कथा के माध्यम से
शांतिन के तन में नेताजी एक दिन है आते भरविंद्रनाथ टेगोर से वो शम्मान को है पाते
शम्मान को है पाते
1949 कॉंग्रेस के अध्यक्ष कहाए है
सीतर मैया गांधी के आज
आकांशी हराए है
आकांशी हराए है
फॉरवर्ड ब्लॉक का आप नहीं तो है निर्मान किया
देख के जन जन को आपने है कल्यान किया
आपने है कल्यान किया
नजर बंद 1940 में फिर किया गया
गोरों द्वारा आपका पीछा बहुत ही खरीदा
पीछा बहुत ही किया गया
1941 में गायब हो जाते हैं
जीवन गाता गाते हैं
जिनको नेताजी कहकर सब लोग बुलाते हैं
हम कथा सणाते हैं
तेरे देश के अमर जवार
तेरे भारते में धर्दा
तेरे भारते में धर्दा
प्रिये देशवासियों नेताजी को यह बात समझ आ चुकी थी
कि अपने स्वार्थ के लिए देश के कुछ लोग उनकी रननीती को समर्थन नहीं देना चाहते
तब उन्होंने अपने तरीके से इस जंग को जारी रखने का प्रयास किया
भारत छोड़के नेताजी अफगानिस्तान है आए
वहाँ से होके रूस वो पहुँचे जर्मनी में फिर धाए
नो जर्वरी 1941 है बतला आया
ग्यापन दे जर्मन सर्वान
अरकार को मन है हर साया
जिस ग्यापन में एक्सिस पावर को दर्शाया था
भारत के बिच परस पर सहयोग बताया था
स्वतंत्र भारत रेडियो का फिर है निर्मान किया
स्वतंत्र भारत केंद्र नवंबर में
निर्मान किया
थिर नेताजी जा पान में पहुंचली जाते है
जीवन गाता गातित
जिनको नेताजी कह कर सब लोग भुलाते है
हम कथा सुनाने
ये देश के हमल जवान
कैरे भारते में फ्रशी
कैरे भारते में
प्रिया देशवासियों सुत्रों के अनुसार नेता जी नव सेना की मदद से जापान पहुँच जाते हैं
और टोकियो रेडियो से भारत वाशियों को संबोधित करते हैं और 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फॉल्ज की अस्थापना करते हैं
इसकी अस्थापना अंडमान और निकोबार में की गई थी जहां इसका शहीद और स्वराज नाम रखा गया
सन 1944 में आजाद हिंद फॉल्ज ने इम्फाल को अपने कब्जे भी ले लिया था
विश्व युद्ध को दूसरा फिर तो हार गया जापान नेताजी ने फिर तो रूसस कर ली है पहचान
रूसस कर ली है पहचान
18 अगस्त 1945 की तिथी आई
नेताजी फिर बैठ जहाज में हुए रवाना?", भाई
नेताजी फिर बैठ जहाज में हुए रवाना?", भाई
हुए रवाना मन? चूरिया नेताजी देश की शान
दुरघटना ग्रस्ट हुआ प्लेन है मिली सोचनाऔन
मिली सोचनाऔन
सुत्रों के अनुशार नेता जी चोट बहुत है पाए
ताई होगू हस्पीटल में वो जान है अपनी गवाए
किन्टू भारतिय इस घटना का साक्ष न पाते है
जीवन गाता गाते है
जिनको नेता जी कहकर सब लोग बुलाते है
हम कथा सुनाते है
ये देश के मन जवाला करें भारती में प्रणाम
प्रिया देशवासियों उन दिनों
निदार प्याक प्याक
प्रियेदेशवासियों उन दिनो नेताजी के मृत्यू का समाचार
समाचार पत्रों तथा रेडियो के माध्यम से जन जन तक पहुचाये गया था
लेकिन इसका कोई भी प्रामाणिक साक्ष नहीं प्राप्थ हुआ
नेताजी की मृत्यू का रहस्से नहीं सुल्झा
पीते कई दसक से रहश्य है उलजा का उलजा
अठार अगस्त को शहिद दिवस जापान मनाता है
पुष्प चढ़ा कर धूम धाम से शीश जुकाता है
किन्टू पीयम मोदी जी ने कदम उठाया है
23 जन्वरी 2021 किस नाम सुझाया है
23 जन्वरी पाराक्रम दिवस कहलाएगा
जन्म दिवस ये नेताजी की याद दिलाएगा
इस डिन नेताजी को शरधा सुमन चढ़ाते है
जीवन?
गाता गाते हैं जिनको नेता जी कहकर सब लोग बुलाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये देश के अमल जमार अरे भारती में प्रणाव
प्रिया देशवासियों नेता जी सुभास चंदर बोस जी नहीं तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा जैसा सुप्रसिद नारा दिया था
और यही भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे दिग्गज नेता थे
दुइतिय विश्व युद्ध के दाउरान अंग्रेजों के खिलाफ लडने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फोज का गठन किया और जैहिंद का नारा भी दिया
आठ सितंबर 2022 की तिथी आई भारत के इतिहास में एक गाथा है लिखवाई
नारा लिखवाई। नेता जी की प्रतिमा को मोधी जी ने लगवाया कर्तब पथ पर प्रतिमा का उद–घाटन करवाया
ये दिन हमको नेता जी की याद दिलाता है, पूरा भारत नेता जी के ही गुण गाता है
नेता जी के का गण गाता है
देविस कुन्दन ने नेता जी की ये कथा सुनाई
मुनिंद्र प्रेम जिशुमिर शारदा है ये कलम चलाई
प्रेम तनै जै हिंद कनारा मिलके लगाते हैं
जीवन गाता गाते हैं
जिनको नेता जी कहकर सब लोग भुलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये देश देमर जमार घर भारत देने प्रणाव

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