''रम कह دیتا दे دی जान''
जणि मारी नयनवा के बान जी
आयलि इस खिलि रोपल अर्मान जी
जणि मारी नयनवा के बान जी
जणि मारी नयनवा के बान जी
प्यार में पहिने ही तिल बनी हारा
जुलफी के जाराल
जाउर रही रही की मुस्की अईलान कोरे
महीना देखी हर लई की आह भोरे आजी दगमग होता वे इमान जी
जणि मारी नयनवा के बान जी
कहती ता लिखती रवाना वे जवानी प्यार में तनमन रङा गाईल बानी
सोना लामी लामी किसीया में बान लीका हम राधा बन की हाथ स्याम थाम लीका
अब लिखी आधित थाई हे ठान जी जणि मारी नयनवा के बान जी
जणि मारी नयनवा के बान जी