छापारा बाजार से
ख़रे ख़रे आयी छाठी मईया
बाड़ा सुभावने लाकेश
ख़रे ख़रे आयी छाठी मईया
बाड़ा सुभावने लाकेश
करियलावा नरियलावा ले आई हबनम्दी छापारा बाजार से
सभो के फुकार सुनेली मईया सुनीला बत्तिया धान से
करियलावा नरियलावा ले आई हबनम्दी छापारा बाजार से
जय चाठी माई जय चाठी माई
बी औरी हो मौटिया के चुलिया पराला
साथी जवरा के हूं गंग पानी में धुआला
हम उछट के परव कहें चली जाई ले छोड़ी के रॉम
साफ हो खेला घ़रे आगनावां बड़ा सुहावने लागेश
जोड़े निमुआ ले आईहा बड़मची पाक सरका चारस
दोमा इनके घ़रे जवरा सुपली बिनाला कोहा इनके घ़रे कोशिती अरिगार हाला
फुल पहुचा में मलीनी आनु हो और जीला कामें बजीनी आनु हो
दाई चल दिले आदी जी फालाना दाउरा सजाई बहाली से
नो से पतिया ले आईहा बड़मची बानियापूर बाजार से
जई चटिमा
गंगा जी के तीरे साधे और बतिया बाजेला बजान मैंके गितिया कावाला
हम गाईब चटिमा के गितियान हो अच्छ जोरी करवो पिनितियान हो
सोलू उसम निरालाया का चटिमा के पुकारस जोर से
राजा से हुआ सरी पाल आईब साहिं गंग बाजार से
सब के पुकार सुनेली मैंया सुनीला बतिया ध्यान से
मरी अलवाल आईहा बलम जी छापारा बाजार से