हेशनत कुमारों सुनो
कि मैं ब्रह्मण करते करते बृंदावन पहुचा
और
बृंदावन मैं यमनाज़े के किनारे में गया
तो मैंने क्या देखा
कि एक नव जुवती है
उसकी गोद में तुबर्द पुलुष लेटे हुए है
एक बार तो मेरे मन में विचार आया कि मैं पूछूं तो सही कि कारण क्या है
पर मैंने अपने विचार बदल के मैं जाने
लगा उसी समय वैधेवी मेरे से कहने लगी
भोभो साधु
चडम तेस्ट मच्चिन्ताम पिनासया
ओ धर्शनं तवलोकस्या सर्वधागभरमःण
वैधेवी मेरे से कहने लगी ए नाराज ज़राल ठैरिये
भोभो साधु चडम तेस्ट
ए साधु जी एक चण ठैरिये
मच्चिन्ताम पिनासया मेरे चिंता का नासाब किजिये
अहम् भक्तिरितिख्याता
इमोमेतन योमतो
ज्यालवेराज्यनामानो कालयोगेन जरजरो
..
आप ये बताये ये दोने वर्द्धी कैसे हो गई?
तो भक्ति देवी ना कहा,
हे नारज्जी,
जब मैं वर्णावन में आई,
तो मैं जबान हो गई,
और वैसे,
जब मैं कहीं और गई,
तो मैं वर्द्धू हुई,
और
मेरे
पुत्र हैं ज्यान वेराग, ये जवान थे,
उत्पन्नाद्रविने साहं
म्रद्धिम् करनाटके गता,
ओक्वचेत्क्वचेल्महाराश्रे
गुर्जरेजीन तामगता,
मेरा जन्म द्रमिदेश में हुआ है,
और मैं करनाटक में व्रद्धि हुई,
वक्षितक्वचेल्महाराश्रे,
मेरा
दर्जन महाराश्रे में कहीं कहीं पर है,
और बुज्जराज में आते आते मैं जीरच्छेलन हो गया हूँ,
और जैसे हमें वर्णावन में आई मैं तो नव्युवती हो गई
पर मेरे पुत्र यह जो ज्ञान वेराज्य है
यह वर्द हो गए
आपको बताएं कि ऐसी कौन सी जगए है जहां पर
भक्ति भी
नाशती है महाराज्य
तो कहा
धन्यम् बृण्दावनम् तेना भक्तिर् निच्चत् यत् सृचा
बृण्दावनम् भक्ति
का वास है
कहा कि
नरल्जी कहें लगे देवी तुम चिंता मत करो
तुम्हारे पुत्र वापस युवा अवस्ता को प्राप्त होगे
महाराज एक वात है
क्या यह यह है जो कल्युग है यह बस भगवान के नाम पर है यदि आप
भगवान का भजन करेंगे तो आपको कल्यान होगा बाबा जी लिखते है