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Bài hát nanhe rojedar ki dastaan do ca sĩ Bhawna Swaranjali thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat nanhe rojedar ki dastaan - Bhawna Swaranjali ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Nanhe Rojedar Ki Dastaan chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
Ca khúc Nanhe Rojedar Ki Dastaan do ca sĩ Bhawna Swaranjali thể hiện, thuộc thể loại Thể Loại Khác. Các bạn có thể nghe, download (tải nhạc) bài hát nanhe rojedar ki dastaan mp3, playlist/album, MV/Video nanhe rojedar ki dastaan miễn phí tại NhacCuaTui.com.

Lời bài hát: Nanhe Rojedar Ki Dastaan

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

ये सच्ची बयानी है
रम्जा की कहानी है
पढ़ते दुरूद पैज ये लिखते हैं महरवाँ
ये सच्ची बयानी है रम्जा की कहाणी है
ये सच्ची बयानी है रम्जा की कहानी है
प्रश्ची बयानी है रम्जा की कहानी है
बिर कमाई देता था भीवी के हाथ में
करता वफाएं भीवी और बच्चे के साथ में
भीवी का नाम उजमा था थी नेक दिल नशी
हर वक्त करती रहती वो अल्ला की बंदगी
ते लाड़ना ये सच्ची बयानी है रम्जा की कहानी है
रम्जान के महिने की आमद की थी खुशी बस्ती में चांद देखने की होड थी लगी
वक्त असर था लोग थे चट पर चड़े हुए हस्रत थी चांद देखने की थे जमे हुए
इतने में चांद दिख गया सब को खुशी हुई
छहरे सबी के खिल गये दिल की कली खिली
आखे वो सीने से लिपट कर रम्जान का मा चांद में आया हुँ देखकर
बिलकुल ही वो बालीक सा आया मुझे नजर
इतने में ही साबिर भी आया घर को लोटकर
उज मा से बोला इस तरह वो चहरा देखकर
ये सच्छी बयानी है
रम्जा की कहाणी है
ये सच्छी बयानी है रम्जा की कहानी है
गया रमजान है अब घरचा बढ़ेगा
हाली है मेरे हाथ ये घर कैसे चलेगा
बीबी ने कहा पिक्र नहीं आप कुछ करो
अल्लाह मददगार है उस पर यकी रखो
रिक्षा चलाने जाना तुम मैं रोजा रखूंगी
शौहर नमाज पढ़के मैं पुरान पढ़ूंगी
अम्मी से बोला अपनी वो मा चांद दिख गया लेकर खुदा की रह्मत रमजान आ गया
करूँगा और नमाजे पढ़ूंगा मैं
बतलाई है इमाम ने रोजों की फजीलत करनी मुझे भी अम्मी
है अल्लाह की इबादत सदता रसूले पाक का होगा हमें हास
उसका उठेगा अम्मी जागंगी हमारा दिल उजमाने कहा लाल मेरे जिद न तुम करो
बाली उमर तुम्हारी है रोजान तुम रखो
शिद्दत को भूख प्यास की तुम सहन सकोगे
यह सची बयानी है रमजा की कहानी है
ये तै किया रोजा रखूंगा मैं
उठ करके वक्त सहरी अब सहरी करूंगा मैं
चुप चाप जाके कम्रे में मासूम सो गया
रोजा रखेगा कल को तसभुर में खो गया
कुछ देर बाद रिकशा लिये आ गया सावे आवाज दी थी बीवी
को दर्वाजे पे आ कई तरवाजा खोला बीवी ने तो मन मचल गया
अभर का हाल देख के अब दिल दहल गया
बीवी ने पूछा क्या हुआ मुझे को बताईए
बेचेन हो रहा है दिल कुछ ना चुपाईए
साबिर ये बोला क्या बताऊं दासताए मन
किसमत बनी हुई है मेरी जान की दुश्मन
बयानी है
रमजा की कहानी है
मजदूरी की
तालाश मैं रिक्षा चला रहा इत सामने से मेरे तभी धेला आ गया
ककर लगी थी जोर से हम दोनों गिर गए
धेला पलट गया था और पहीए निकल गए
आ करके ठेले वाले ने मुझसे लड़ाई की मेरा कुसूर था नहीं मेरी पिटाई की
जो कमाई थे जुर्माना भर दिया साबिर की बात सुनके ये उजमाने था कहा
अल्लाह का ये शुक्र है तुमको न कुछ हुआ
पैसों की क्या है रोज का है खाना कमाना
जब की रजाते पाएंगे रह्मत का खजाना
ये सची बयानी है रंजा की कहाणी है
ये सची बयानी है रंजा की कहानी है
उते दूल जाईए
मुहात आप धोईए
और खाना खाईए
रमजान कल से लग रहा
तारीक है पहली
जो भी है घर में
उससे ही कर लूँगी
मैं सहरी
मेरे हजूर आपसे शिक्वा न करूँगी रमजान के हर हाल में मैं रोजे रखूँगी
अब जैन भी माँबाप की बाते था सुन रहा रोजा रखेगा वो भी यही एहड कर रहा
माँबाप उसके सोए फि चुपके से वो उठा
देखा किचन में जाके तो खाना था कुछ रखा
सहरी का वक्त हो गया तो खाना खा लिया कर ली
नियत थी रोजे की और रोजा रख लिया
ये सच्ची बयानी है रमजा की कहानी है
माने जो देखा लाल को खाते हुए सहरी उचकार के फिर जैन से मा इस तरह बोली
ए नूरे नजर रोजे की ये जिद को छोड़
दे रोजा न रख ए लाल मेरे रोजा तोड़ दे
फिर जैन बोला मा मुझे मजबूर मत करो रोजे को तोड़ने
के लिए मुझसे मत कहो फिर हो गई अजान पजर कर लिया वजू
पढ़ने गया नमाज हुई पूरी जुस्तजू
उजमा भी अब नमाज में मश्गूल हो गई सजदे में सर रखा सा इबादत
में खो गई इतने में ही फिर जैन भी मस्जद से आ गया अम्मी से अपनी
आके वो बच्चा लिपट गया ये सच्ची बयानी है रमजा की कहानी है
ये सच्ची बयानी है रमजा की कहानी है
जब दिना चाहती थी वो खूरां की तिलावत लेकिन उरूज पर थी
बहुत मां की मोहबत मां इस तरह से प्यार में मजबूर हो गई
बेटे को दिन से अपने लगा करके सो गई
जब सुबह हो गई थी तो मां बेटे उठ गए साबिर वी रिकशा लेकिन चलाने को वो
गए जब हो गया दुपहेर तो ना चैन मिल रहा गर्मी थी मैं जून की सूरज उबल रहा
जो भी थे रोजदार थे गर्मी से परिशा रोजे ये मैं जून के रखने नहीं आसा
प्यास में मासूम रोजदार ये सच्छी बयानी है रमजा की कहानी है
फिर जैन को समझा के महलकान हो गई
देखा जो अपने लाल को परिशान हो गई
मां बोली अपने लाल सिजद अपनी छोड़ दे
कहना हमारा मान ले रोजा तू तोड़ दे
फिर जैन बोला मां मेरी अल्लाह गवा है रोजे को रख
के तोड़ नहोता गुना है रोजे को महर हाल में पूरा
करूंगा मैं शिद्धत जो भूँक प्यास की उसको सहूंगा मैं
वक्त असर में फिर वहाँ मौतम बदल गया फिर जैन खेलने को
वो बाहर निकल गया पच्चों में लगा खेलने चक्कर सा गया
प्यास गुम हुए इक दम वो गिर पड़ा ये सच्ची बयानी है रमजा की कहानी है
मा
उसकी आई और उठा करके ले गई सीने से अपना लाल लगा करके ले गई
मा रोई जार जार थी क्या हाल हो गया बेसुद पड़ा है किसलिए आँखे न खोलता
रोजे में आज लाल मेरा मर गया अगर रमजान के रोजे न रखूंगी मैं उम्र भर
अल्लाहा मुझे के छीन ना दिल की मेरे खुशी
तदके में मुहमद के दे बेटे को जिन्दगी
साबिर भी घर पे आ गया सुनते ही ये खबर
इफ़तार का सामान भी लाया खरीद करें
माने तडब के मांगी दूआ तो ये हो गया आया फकीर एक दी दरवाजे पे सदा
ये सच्छी बयानी है रमजा की कहानी है
जो तेरे एक है मासूम रोजदार उसकी इबादतों पे खुदाई भी है निसार
पर तुम जगा दे माने पुकारा लाल को तो खोल दी आँखे
मुरदा पड़ा जो जिसम था चलने लगी सांसे
रमजान के सदके में उसे जिन्दगी मिली अल्लाह के करम
से उसे हर खुशी मिली साबिर की जो गरीवी थी अल्लाह
आ गई जो पैज कली दिल की खिला दी ये सच्ची बयानी है रमजा की कहानी है

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