खुशक ओटों से निकली आयेत है तू
मेरे दिल ने जो कर ली वादत है तू
जो दिल को सुकूद वो रात है तू
मेरे एक खुशनमासी शरारत है तू
मैं खो गया हूँ तुझ में कही
नामों निशां भी निलता नहीं
एक गागे से उलजे दूनों नेना
क्यों लागे है तुझसे नेना
मन लागे है सारी रेना
क्यों लागे है तुझसे नेना
मन लागे है सारी रेना
मन लागे है तुझसे नेना
तेरे सिवा मैं कुछ ना जानوں
हर जनम में तुमको ही माँगू
तेरे सिवा मैं कुछ ना जानों
हर जनम में तुमको ही मांगू
तुम हसो तो मैं जननत पाती हूँ
जो रो तो सासे रुख जाती है
मैं खो गए हूँ तुझ में कही
नामो निशा भी मिलता नही
एक दागे से उलचे दोनो नैना
क्यूं लागे है तुझसे नैना
मन लागे ना सारी रहना
क्यूं लागे है तुझसे नैना
मन लागे ना सारी रहना
नैना नेना लागे रहते तुझसे
नेना नेना लागे
नैना नेना लागे रहते तुझसे
नेना नेना लागे
नेना नेना लागे रहते तुझसे
नेना नेना लागे
नेना नेना लागे रहते तुझसे
नेना नेना लागे