नज़ोगनी आजाता है रोख।
घर्वा में छोड़ी के नाया,
होरी कन्या जाता है रोख।
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तो मरी महरी किसींत नचावे बला मन चनी आजा तहाड़ा
तो मरी महरी किसींत नचावे बला मन चनी आजा तहाड़ा
तो मरी महरी किसींत नचावे बला मन चनी आजा तहाड़ा
तो मरी महरी किसींत नचावे बला मन चनी आजा तहाड़ा
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