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धन्यभारत की माटी है ये शूर, वीर, उप, जाती
धन्यभारत की माटी है ये शूर, वीर, उप, जाती
देश वावर मोहे है शुब कर, मन से कब हूँ न डरो
प्रगती पत पर है देश मेरा, तुम भी आकर हुंकार भरो
हुंकार भरो और आगे बढ़ो
जिस धरापे जन में नेता सुभाश उसको नगर्त में जाने देंगे
बढ़ लेते हैं आज से ही खाएंगे ना हम ना खाने देंगे
चांद का पहुँचा भारत है अपना परचम लहराने को
दिजिकल इंटिया भी देश मेरा वेदामी धन मिटाने को
जोड़ा आधार से खातो को चन चन को लाब दिलाने को
मेंकिन इंटिया का मंत्र यहां है विश्व पतल पर चाने को
गंगा यमुना का देश मेरा चोरों का पाप धुलवा देंगे
जी एस्ती लागू करवा के परियादा में तब को ला देंगे
रष्टा चार धूंगी रावण को बिंदशेर ही जला देंगे
आम लाला भी अब तो विराजे है अर्दिंदशेरा बदा देंगे
रष्टा चार को अब हम विटा देंगे अर्दिंदशेरा बदा देंगे
हर सरसर तेजस जाती है घंटों में दूरी पिटाने को कहीं अटल से तु गौरव से खड़ा जनता का समय बचाने को
आयुश मान अब भारत है जन जन आरोग्य बनाने के स्वच्च है मन और स्वच्च है तक भारत को स्वच्च बनाने को
न डरो हर सोचक चाहे लडो इश्चे कर अपनी जीत करो प्रगती पथ पर है देश मेरा तुम भी आकर हुंकार भरो हुंकार भरो और आगे बढ़ो
नव गुर्जावान इस देश को आप विश्व गुरू बनाने के प्रड़ लेते हैं आज से ही खायेंगे ना हम ना खाने देगे
खाएंगे ना हम ना खाने देगे