मैं मुसाफिर कहीं खो गया हूँ
लापता हुआ
कहीं खो गया हूँ
मैं भटकता रहा ना मिला मंजिल यहाँ
मैं मुसाफिर कहीं खो गया हूँ
क्यूं है सब यहां बेखबर
क्यूं तू ढूंटा है सुकूं यहां
मैं तढबता रहा ना मिला मंजिल यहाँ
मैं मुसाफिर कहीं खो गया हूँ
लापर्ता हुआ कहीं खो गया हूँ
थोड़ा पागल समय मुस्कूराता रहा
मैं मुसाफिर कहीं खो गया हूँ
क्यों है सब यहां बेखबर
क्यों त्रेरा दिल है बेचाए यहां
मैं तनहा रहा खो गया सुकूर यहां
मैं मुसाफिर कहीं खो गया हूँ
हुआ
लापता हुआ कहीं खो गया हूँ