पढ़ीरे सारी पगार गम पगार गर साथ
बात फुरकत की थी बात अच्छी ना दे
बात फुरकत की थी बात अच्छी ना दे
आ गया था जो उनसे बिछड़ने का पल
बात फुरकत की थी बात अच्छी ना दे
आ गया था जो उनसे बिछड़ने का पल
हमको सावन तो अच्छा लगे हैं मगर
कि आँखों में बरसात अच्छी ना दे
बात फुरकत की थी बात अच्छी ना दे
दुट गया सब है सरमद का पाके उसे
बार की तेरे सोगात अच्छी ना दे
बात फुरकत की थी बात अच्छी ना दे
बात फुरकत की थी बात अच्छी ना दे