अनन्कर तूटते रह जाएंगे
तुझ से हम बिछले तो फुद को ढूंडते रह जाएंगे
पढ़ने वाले पढ़ते जाएंगे किताबे और हम
कावजों की किर्चियों को जोडते रह जाएंगे
गुलचल को कभी हमने तो सहरा नहीं लिखा
लिखी है गजल हमने तेरे नाम की इश्रत
लेकिन कभी तूने रमे प्यारा
नहीं लिखा
मौसम है ये जवानी का आचल सबालिये
मौसम है ये जवानी का आचल सबालिये
होने लगा है
दिल मेरा गायल सबालिये
होने लगा है
दिल मेरा गायल सबालिये
मौसम है ये जवानी का
मौसम है ये जवानी का
तो योद्धान माना के आशती के है दिन ये शबाब के
तो योद्धान माना के आशती के है दिन ये शबाब के
बिखरे ना तूटकर कहीं पायल संभालिये
मौसम है ये जवानी का
सिखलाओ ना सभलने का मुझे को सलीका तुम
सिखलाओ ना सभलने का मुझे को सलीका तुम
पहले अदाएं अपनी हैं
चंचल संभालिये
पहले अदाएं अपनी हैं
चंचल संभालिये
मौसम है ये जवानी का
सिखलाओ ना सभलने का
जवानी का
जवानी के अतips
होने लगा है हर कोई पागल संभाली ये मौसम है ये जमानी का
दिन में न रात का कही इश्रत गुमाना हो
दिन में न रात का कही इश्रत गुमाना हो
इन कातिला न आखों का काजल संभाली
मौसम है ये जमानी का काचल संभाली
मौसम है ये जमानी का काचल संभाली
होने लगा है दिल मेरा गाल संभाली
होने लगा है दिल मेरा गाल संभाली
मेरा गायर संभालिये मौसम है ये जमान का