मुला छोड़ के तुर जाना भीचार नहीं आएऔर सोंचे बहाना धरकार नहीं आएमुला छोड़ के तुर जाना भीचार नहीं आएदू दिन बर कहिंके तोर चले जाना तोर ये ठगना बेकार हैमैं के जाके फिर तेहां रती आवे यी है मुला गजब हार हैऐसे रंग धंग मुला चित को नहीं भाईमुला छोड़ के तुर जाना भीचार नहीं आएदू दिन बर कहिंके तुर जाना भीचार नहीं आएमुला छोड़ के तुर जाना भीचार नहीं भाईदेख गोरी जन करते अपन मन मानी ऐसे में बात भाई खराब हैरही रही के मुला गोरी चिर जन चबाते एकर बने नहीं जबाब हैजगरा लड़ाई करके तोनों नहीं जाएमुला छोड़ के तुर जाना भीचार नहीं आएदेही नहीं रहे दे घर सुनना हो जाही सोचे के थोड़ी की ये बाते हैआखी में आसुला के बार बार कहे दे दूए चार दिन के तो बाते हैरितु बसंत जब बहार नहीं लाएमुला छोड़ के तुर जाना भीचार नहीं आए