मितबारे आज चला
काही मोही चले
मितबारे आज चला
काही मोही चले
दिन महीने बरसों बीते
पल युगा मिठले
तू कही न मिले
मितबारे आज चला
काही मोही चले
मितबारे आज चले
सरहद से तुम बीत लगाई
हमको खबर भी न भिजवाई
भारत मासे खुब निफाई
कैसे तुम्हे कहो हर जाई
दिल बिरह ये कैसे सहे
है ये आसु भरे
मिरे पल तु कले
मितबारे आज चला
काही मोही चले
तुम गए जब से ओ साथे
राख हुई मेनो के बादी
ना तुम ना ही आए बादी
चेन नहीं मुझे दिन राती
कोई जिये तो कैसी जिये
रोज बन की छिता
जिन्दरगी यूँ चले
मितबारे आज चला
काही मोही चले
दिन महीने बरसो बीते
पल यूगा में ढले
तो कहीं न मिले
मितबारे आज चला
काही मोही चले