सिंद्द देश सजी धर्ती, तो ते पें�्छो सी सिन्वायामिठी माते लायामिती माते लायासिंद्द देश सजी धर्ठी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वायामिति माते लायामिठी माते लायामिती माते लायामिती माते लायासिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वायासिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वायाजी तब मूँ अट, जी जा माता, वै तब जी जा भायाजी जी जल, जी जी जल, तो खे की अनवायामिती माते लायासिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वायामिती माते लायासारा सट दपडा दाती जावाई मेवर नायासुर सुर जन सावन में सिंदु लर लर लहकायारिम जिम रिम जिम राग, उनन साथर पर पाहि पढायामिती माते लायासिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वायामिती माते लायाखाद मली रां मैं कोँछी जा नगर नगर पहलायाफुथ फुथ पेंजो दे, फुथ पेंजो मारू शाल मिलायामिती मिती मंज मिलाजे, आओ अमर का पायामिती माते लायासिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वायामिती माते लायाबराबर, मिती सांब मो आयेमन जो पंची उडड़े तोदूर दूर आकाश मेंएं दीधार तो हली कराएंसोहार ये सिंद्धुर ये जो