सिंद्द देश सजी धर्ती, तो ते पें�्छो सी सिन्वाया
मिठी माते लाया
मिती माते लाया
सिंद्द देश सजी धर्ठी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वाया
मिति माते लाया
मिठी माते लाया
मिती माते लाया
मिती माते लाया
सिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वाया
सिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वाया
जी तब मूँ अट, जी जा माता, वै तब जी जा भाया
जी जी जल, जी जी जल, तो खे की अनवाया
मिती माते लाया
सिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वाया
मिती माते लाया
सारा सट दपडा दाती जावाई मेवर नाया
सुर सुर जन सावन में सिंदु लर लर लहकाया
रिम जिम रिम जिम राग, उनन साथर पर पाहि पढाया
मिती माते लाया
सिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वाया
मिती माते लाया
खाद मली रां मैं कोँछी जा नगर नगर पहलाया
फुथ फुथ पेंजो दे, फुथ पेंजो मारू शाल मिलाया
मिती मिती मंज मिलाजे, आओ अमर का पाया
मिती माते लाया
सिंद्ध देश सजी, तो ते पेंर्छो सी सिन्वाया
मिती माते लाया
बराबर, मिती सांब मो आये
मन जो पंची उडड़े तो
दूर दूर आकाश में
एं दीधार तो हली कराएं
सोहार ये सिंद्धुर ये जो