था जितना भरोसा तेरी आशकी में
मिला गम है उतना मुझे जिन्दगी में
नहीं आरजू की कुछ तुम्हारे सिवा मैंने
मिली बेवफाई क्यों मुझे बंदगी में
था जितना भरोसा तेरी आशकी में
मिला गम है उतना
मुझे जिन्दगी में
तेरी रहवरी पे इतना यकी था
चलो
चलते थे पीछे हम आखे मूने
हो खाई वो ठोपे राहे वफा में
लगी चोटे दिल पे सपने भी तूटे
हो टुकडे उठाते बैठे हूँ अब तो
बाकी बचाना कुछ जिन्दगी में
था जितना भरोसा तेरी आशिकी में
मिला गम है उतना मुझे जिन्दगी में
तेरे साथ मेरा कुछ यो मस्ता था
सासों की होती है जैसे लबों
से
हो बिखरी से लगती अब धर्कने है
महोलत रही है उन्हें उलजनों से
अपनों में रहते बेगानों जैसे
बाकी बचाना
कुछ जिन्दगी में
था जितना भरोसा तेरी आशिकी में
मिला गम है उतना मुझे जिन्दगी में
रस्मे वफाओं की निभाई यू हमने
सदा फिक्र रखे खुशियों की उनके
हाँ पड़े ना कभी उन पे
साए भी गम के
माँगी दोखें
सदा हक में उनके
जखमें जफाब सहती हूं बैठी
बाकी बचाना कुछ जिन्दगी में
था जितना भरोसा तेरी आशिकी में
मिला गम है उतना
मुझे जिन्दगी में