रोटी को बगड के बीच सासताने मारे ननन्द मारे स्थीर
जूतो बत्ती हो गया ननन्द के बीर कोण बंदा वै देरी धीर
जूतो बत्ती हो गया ननन्द के बीर कोण बंदा वै देरी धीर
दीरच राखल मेरी नार जीते कना करूँ तन प्यार
लर्क्याने समझा जूँगा आन में दिन लागेंगे चार
दी लगेंगे
मोहनु यादव बरेली
सारा काम करूँ घरका फिर भी मेरा ए छिर्खा
सारा काम करूँ घरका फिर भी मेरा ए छिर्खा
मिल के केते कमाऊँ सू बोलें सुने
सुने सुने सजीते केते कमाऊँ सू बोलें सुने
कड़ सावर गया ताने इस बार है ओ चनुखीर
आप चा चा खोड़ भवै सैनीर
तू तो बती हो जान नग गिर बीर
कोड़ बंदा मैं मेरी रीर
रे सुन ले बात बीर स्यानी
तू को नया रह रीब यानी
खापी कै शादी रहा कर तू
खामे खा टेंसन ना ठानी
तेरार मैं लादू गड़ कार
तो पिछा लादू मेरी सरकार
गर क्याने समझा जूँगा
आन मैं दिन लागेगे चार
रविंदर जमडी आले हो
मनै चांती कै लगाले हो
तीला जीला कै तिर बिंच क्या है
कि कजम ख़बाले हो
राम नैं गुशी लिखी तकदीर
तन जीला कै तिर बिंच क्या है
मैं कज होगा तेरा सीर
तू तो बती को जानने देगे बीर
कोण बना वैं मेरी दीर
ओ बात तेरी समझूं सुलसारी
पिया बिने आधी सैनारी
याद मेरे फिगनी आवै
करूँ के डूटी सरकारी
गर चाले ना फिने रोजकार
गैल तन दे जा तू रही ये ट्यार
कर क्या नै समझाटूंगा आण
मैं दिन लागे ये चार