मेरी लगे शाम संग प्रेदये दुनिया क्या जानेमेरी लगी शाम संग प्रेदये दुनिया क्या जानेक्या जाने कोई क्या जानेक्या जाने कोई क्या जानेमुझे मिल गया मन का मीतये दुनिया क्या जानेमेरी लगी शाम संग प्रेदये दुनिया क्या जानेशवी लगी मन शानशाम के जब से भाई बावरी मैं तू तब सेआधी प्रेम की डोर मुहन से नाता तोड़ा मैंने जग सेये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जानेमेरी लगी शाम सह प्रीत ये दुनिया क्या जानेमुहन की सुन्दर सुरतिया मन में बस गई मुहनी मुरतियाजब से ओड़ी शाम चुनरिया लोग कहे मैं भाई बावरियामैंने छोड़ी जग की रीत ये दुनिया क्या जानेमेरी लगी शाम सह प्रीत ये दुनिया क्या जानेभूल गया कही आना जाना जग सारा लागे बेगानाअब तो केवल शाम सुहाना रुठ जायेतो उन्हे मनानामुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जानेमेरी लगी शाम सह प्रीत ये दुनिया क्या जानेमेरी लगी शाम सह प्रीत ये दुनिया क्या जाने