एइ बालजी महराज के भेरे भेरे भगतों
कौन को एक बालजी महराज का भग
जो बाबा हनुमान से बहुत प्रेम करता है
होता है क्या कि अचानक इस भगत को संकत घेर लेते हैं
और संकत से बचने के लिए बालजी महराज के
सामने खणा हो जाता है कहता है कि बाबा
पता नहीं ये कश्ट मेरे पीछे क्यों भूमते हैं
आज मैं तेरी दरबार में आया हूँ
तुम्हारे आगे मैं हांच जोड करके प्रातना करता हूं कि मेरी दिन
पर दिन धर्मे कलेष बढ़ता ही जाता है और कैसे बालजी महराज के
सामने विन्ती रखता है आई ये स्वजन के माधम से सुन्ते हैं कैसे
अरेर मेरी बिगडी बात बनादे हो घाटे याले होई
अरेर संकतने गेर लिया हो गे चाले हो
मैं तो बोट गणा दुपाया मैं मन की सोची पूरी कर दे तेरी सरण में आया मैं
करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया मैं
करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया मैं
करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया मैं
उठालाया मैं करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया मैं
करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया मैं करें जी मन्जूर
मेरी दजालंग उठालाया मैं करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया
मैं करें जी मन्जूर मेरी दजालंग उठालाया मैं करें जी मन
उठे ताले हो
बहुत अच्छे
जी मेरी मर्जी तेरी लारख की दर्खास मने
संपचाले मैं भगत मूरारे तेरी माही माःकाव ासे
संप्चाले मैं भगत मूरारे तेरी माही माःकाव आसे
संपचाले मैं भगत मूरारे तेरी माही माISHансार
संपचाले मैंभगत मूरारे तेरी माही माःकाव असे
अरे संकतने गेर लिया ओके जाले हो