देखते हैं आगे कैसी है ये माया उसके बारे में कहते हैं
आरे मेरे समधी की दूरुबल देह
और अलवेली लागे समधिनिया मेरे समधी की दूरुबल देह
और अलवेली लागे समधिनिया मेरे समधी की दूरुबल देह
कैसी है वो समधिन
कहते हैं महत्मा कभीर दास जी
एक
कैसी है वो समधन
जाने ब्रह्मा बिछडू महादेव लूटि के इंद्र लूटि लाए जाए
ये ब्रह्मा बिछडू संकर लूटि के इंद्र लूटि लाए जाए
द्रम्मा बिश्डू संकर लूटि के इंद्र लूटि ले जाए
तेतिस कोट देवता लूटे
तेतिस कोट देवता लूटे
सबकों पीछे घुमाई डारी के
मोहनियों जी मेरे समझी की दूर बलते हैं
अलवेली लागे समझी निया
और
एसब ही जतीसत
� template सापकों लोट और जाए
किसी चार भी उफिट का
माइट्स की भिक्षा को लूट और जाए
सभी जतीसत चाहे नाश्य मुसुमु इंको लूटो जाए
किसी चाहे नाश्य मुसुमु इंको लूटो जाए
वह चल जातम चिकनिया पंडित में
लूटे कुलामु बनायी,् धुराई लाई
शिर्णदल्यां जी मेरे समधी कि दूर वलेदू
अलवेलीं लागे समधीनियां
मेरे समधी कि दूर वलेदू
अलवेलीं लागे समधीनियां जी
मेरे समधी कि दूर वलेदू
अलवेलीं लागे समधीनियां
आगे कैसी है जिस समधन प्रदान जी किसी को छोड़ा ही नहीं इसने
आगे कैसी है जिस समधन प्रदान जी किसी को छोड़ा ही नहीं इसने
आगे कैसी है जिस समधन प्रदान जी को छोड़ा ही नहीं इसने
मजार पेनी के रुन जुनीयों दी मेरे समधी की दूर वला देह अलवेली लागे समधी निया
अलवेली लागे समधी निया
अन्तिम पंक्ती देखते हैं महात्मा कबीर दासी कहते हैं कैसी है वो समधे
ए घर घर में डाइन हुई बैठी खींचे अपनी ओर
ए घर घर में डाइन हुई बैठी खींचे अपनी ओर
धरमदास की अर्ज गुरूशे मिले गए बंदी छोरी समर्के गहियो
मेरी बहियों जी मेरे सुवंदी की दुर्वले देहाई
अलवेली लागे समधे
लागे समधेनियाँ
मेरे बहियों जी मेरे सुवंदी की दुर्वले देहाई
अलवेली लागे समधे
लागे समधेनियाँ
मेरे सुवंदी की दूर्वले देहाई
अलवेली लागे समधे
लागे समधेनियाँ
अलवेली लागे समधे्नियाँ
मेरे सामादी की गोरा मला देया आदा बेली लाइट सामादी निया
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